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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पूर्व सैनिकों से किया संवाद

-सैनिकों को जितना भी सम्मान दिया जाये कम हैः नड्डा
-डिफेंस का बजट बढ़कर हुआ 4 लाख 78 हजार करोड़
-सैनिक परिवारों को ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य

हरिद्वार: अपने दौरे के दुसरे दिन भाजपा अध्यक्ष ने रायवाला में पूर्व सैनिकों से संवाद कार्यक्रम में कहा कि पूर्व सैनिकों को जितना भी सम्मान दिया जाए कम है। उन्होंने कहा, यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे पूर्व सैनिक संवाद एवं सम्मान कार्यक्रम में आने का मौका मिला। सैनिकों को सम्मान देना हमारा कर्तव्य है और उसे शब्दों में बयां करना कठिन है।

उन्होंने कहा बहुत से लोग डिफेंस की बात करते हैं, मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि 2011-2012 में हमारा डिफेंस बजट एक लाख 47 हजार करोड था जो आज 4 लाख 78 हजार करोड है। हमारी पार्टी ने डिफेंस बजट में किसी किस्त की कमी नहीं छोडी है। प्रधानमंत्री स्वयं इसे प्राथमिकता पर रखते हैं।

इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सैन्य परिवारों, वीर नारियों और सैनिक आश्रितों के लिए किए जा रहे कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि सैनिक परिवारों का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य है और केंद्र तथा भजापा सरकार अपनी इस जिम्मेदारी को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

गौरतलब है कि उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में भाजपा की तैयारियों पर निरंतर नजर रखने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद मोर्चे पर खड़े नजर आ रहे हैं। उन्होंने तय किया है कि वह विधानसभा चुनाव तक हर महीने उत्तराखंड का प्रवास करेंगे। ऐसे में साफ है कि पार्टी आलाकमान उत्तराखंड में चुनाव को लेकर अब गंभीर हो गया है।

उत्तराखंड में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा शुक्रवार को पार्टी नेताओं को क्षेत्रों में प्रवास कार्यक्रमों के दौरान जनता के साथ अधिक से अधिक संवाद स्थापित करने और जनसमस्याओं के निस्तारण पर जोर देने को कहा।

आज रायवाला में आयोजित सैनिक संवाद सम्मान सम्मेलन में पूर्व सैनिकों, सैन्य परिवारों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। जिससे यह तो साफ हो गया है कि आम आदमी ने सैन्य परिवारों को साधने के लिए कोठियाल को मैदान में उतारा है तो इसका असर सैन्य वोट बैंक पर भी पड़ सकता है। हालांकि भाजपा-कांग्रेस का पूर्व सैनिकों का अपना कैडर वोट है लेकिन इस समय आम आदमी पार्टी के फौजी दांव के आगे इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के नेता भी चौकस नजर आ रहे हैं।

भाजपा जहां पूर्व सैनिकों, वीर नारियों और को सम्मान देने और उनका हर हाल में ख्याल रखने का दावा कर रही है वहीं सम्मेलनों के जरिए फौजी वोट बैंक भांपने का कार्य भी कर रही है। जिससे यही माना जा रहा है कि अन्य वोट बैंक के साथ ही फौजी वोटों पर किसी तरह का रिस्क लेने के मूड में नहीं है।

संभव है कि कोठियाल को आप से प्रत्याशी बनाये जाने के बाद भाजपा में भी पूर्व सैनिक टिकट के लिए दावा कर सकते हैं। उस समय भाजपा के लिए हालात बड़े कठिन हो सकते हैं क्योंकि वोट बैंक के तौर पर देखे जाने वाले फौजियों को चुनाव लड़ाने की कम ही इच्छुक नजर आती है।