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समान नागरिक संहिता : समिति के सदस्यों ने गोपेश्वर और रुद्रप्रयाग के लोगों से मिलकर जाने सुझाव

देहरादून: राज्य स्तरीय समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति के सदस्यों द्वारा नागरिकों का पक्ष सुनने के लिए क्षेत्र में भ्रमण का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। जिस क्रम में रविवार को राज्य स्तरीय समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने जनपद चमोली के गोपेश्वर मुख्यालय और जनपद रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि में लोगों से मिलकर उनके सुझाव सुने।

चमोली जनपद के मुख्यालय गोपेश्वर में जनसामान्य के साथ बैठक का आयोजन महाविद्यालय परिसर में किया गया। इस बैठक में महिलाओं व युवाओं ने एक समान कानून पर अपने विचार व्यक्त किये। पहाड़ के सम्बन्ध में उनकी इस कानून से अपेक्षायें भी विशेषज्ञ समिति के सामने रखी गयी।

समिति के सदस्यों द्वारा समान नागरिक संहिता के विषय में अधिक से अधिक लोगों तक जागरूक करने के लिए भी लोगों से अपील की। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राचार्य, शिक्षकों, महिलाओं व आम जन उपस्थित रहे। इस दौरान समिति सदस्य शत्रुघ्न सिंह, मनु गौड़ व डॉ सुरेखा डंगवाल ने अमूल्य सुझावों हेतु उपस्थित जनों को धन्यवाद किया।

जनपद रूद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि में विशेषज्ञ समिति के सदस्यों ने क्षेत्र भ्रमण कर लोगों को समान नागरिक संहिता के बारे में जानकारी दी। अगस्त्यमुनि महाविद्यालय के परिसर में लोगों के सुझाव प्राप्त करते हुए यह आशा व्यक्त की गयी कि अधिक से अधिक सुझाव समान नागरिक संहिता बनाने में महत्तवपूर्ण योगदान देंगे। युवाओं द्वारा विवाह, तलाक जैसे सामाजिक मुद्दों पर समिति के सदस्यों से चर्चा की गयी, बैठक में बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाओं, शिक्षकों, युवाओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।

समिति सदस्य शत्रुघ्न सिंह, मनु गौड़ व डॉ सुरेखा डंगवाल के द्वारा जानकारी दी गयी कि क्षेत्र भ्रमण कर राज्य के समस्त क्षेत्रों से प्राप्त होने वाले सुझाव, उन्हें रिपोर्ट तैयार करने में मद्दगार होंगे।

राज्य स्तरीय समान नागरिक संहिता विशेषज्ञ समिति के सदस्यों द्वारा नागरिकों का पक्ष सुनने के लिए क्षेत्र में भ्रमण का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। इसका उद्देश्य राज्य के दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्रों में भ्रमण कर लोगों को समान नागरिक संहिता की जानकारी देकर उनके सुझाव प्राप्त करना है। विशेषतौर से महिलाओं व युवाओं को इसके बारे में बताते हुए विवाह, संरक्षण, तलाक, गोद लेना, सम्पत्ति का अधिकार, आदि पर सुझाव प्राप्त कर तैयार की जाने वाली रिपोर्ट में शामिल करना है।