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स्मार्ट सिटी का काम बना मुसीबत

देहरादून:  दून स्मार्ट सिटी को लेकर राजधानी में चल रहे कार्य आम जनता के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। स्मार्ट सिटी के इन बेतरतीब और लंबित कार्यों को देखते हुए लगता है कि कार्यदायी संस्था इन कार्यों को जल्द पूरा करने के मूड में नहीं है। फिर भले ही कार्यदायी संस्था की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को ही क्यों न भुगतना पड़ रहा हो।

राजधानी में स्मार्ट सिटी को लेकर लंबे समय से काम चल रहा है। इन कार्यों के चलते आम जनता को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके बावजूद शासन-प्रशासन कार्यदायी संस्था को कार्योें को जल्द पूरा करने के लिए निर्देशित करने की बजाय मौन साधे हुए हैं।

ऐसा ही हाल यूकेलिप्टिस चैक से नैनी बेकरी चैक तक का है। यहां पर लगभग छह माह से स्मार्ट सिटी के काम के चलते सड़क का लगभग दो सौ मीटर का हिस्सा खोदा हुआ है। जब दो मीटर की सड़क पर काम के चलते इसे बनने में छह माह लग रहे हैं तो पूरे शहर में काम के चलते सड़कों को बनने में कई साल लग जाएंगे। ऐसे में तो स्मार्ट सिटी का ख्वाब भी पूरा हो पाएगा या नहीं यह भी सोचनीय विषय है लेकिन इतने सालों तक इन खुदी हुई सड़कों का खामियाजा आम जनता को ही भुगतना पड़ेगा।

इस मार्ग पर यातायात का दबाव सबसे ज्यादा रहता है। उस पर सचिवालय जाने के लिए मुख्यमंत्री, सचिवों और अधिकारियों का काफिला भी इसी सड़क से गुजरता है। इसके बावजूद किसी ने भी इस तरफ ध्यान नहीं दिया कि यह रोड कितने समय से खुदी हुई। आखिर इसी जगह पर ऐसा क्या और कितना काम है जो इतने समय में भी निपटने में नहीं आ रहा है। सड़क खुदी होने के कारण यहां से यातायात बंद कर दिया जाता है और रोड की एक ही तरफ से वाहनों की आवाजाही होती है जिसके कारण या तो लोग जाम में फंस जाते हैं या फिर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है।

इस मार्ग से हो कर जिसको नैनी बेकरी या ईसी रोड पर जाना होता है उसके लिए यहां पर बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती है। दो मिनट के रास्ते कई किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता लोगों को तय करना होता है। ऐसे में यदि किसी मरीज को नैनी बेकरी चैक के सामने स्थित अस्पताल में जाना हेागा तो उसके लिए अच्छी खासी मुसीबत हो जाएगी।

इस मार्ग को जिस तरह से खोद कर छोड़ दिया गया है उसको देख कर यही लगता है कि यहां पर काम हो ही नहीं रहा है। अगर लगातार काम चल रहा तो अब तक यह काम निपट गया होता लेकिन जनता की परेशानी से सरकार, शासन और प्रशासन को कोई सरोकार नहीं है। जिसके चलते इस खुदी हुई सड़क के कारण लोगों का मुसीबत झेलनी पड़ी है। जबकि प्रशासन ने सख्ती से आदेश किए हुए हैं जहां पर कार्यों के चलते सड़क खोदी जाती है वहां पर काम खत्म होने के तत्काल बाद उसकी मरम्मत कर दी जाए लेकिन कार्यदायी संस्था खुद को ही सर्वोपरि मान बैठी है जिसके चलते संस्था द्वारा न तो कार्यों को पूरा करने में कोई रूचि दिखाई जा रही है और न ही प्रशासन द्वारा इस तरफ कोई ध्यान ही दिया जा रहा है।