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शक्तिफार्म की भूमि पर कब्जे का मामला, डीएम ने दिए लेखवपाल व कानूनगों से 8-8 हजार वसूली के आदेश

रुद्रपुरर:  उधम सिंह नगर जनपद के शक्तिफार्म नगर पंचायत शक्तिगढ़ क्षेत्र की बेशकीमती सरकारी भूमि पर वर्षों से काश्तकार अवैध रूप से कुंडली मारकर बैठे हैं। काश्तकार और राजस्व विभाग की मिली भगत से यहां सालों से कब्जे के हालात जस के तस रहे। जब कब्जे और अतिक्रमण के मामले में जांच हुई तो कुछ और ही निकलकर सामने आया। जांच के बाद जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने सितारगंज बंदोबस्त कार्यालय के तीन कर्मचारियों से लापरवाही और राजकीय दायित्व का सत्यनिष्ठापूर्ण ढंग से पालन न करने पर आठ-आठ हजार रुपये का अर्थदण्ड वसूलने के आदेश दिये हैं।

दरअसल, सितारगंज की नगर पंचायत शक्तिगढ़ बीच बाजार से लगा हुआ राजस्व ग्राम टैगोर नगर के नॉन जेडए के खाता सं 0 134 के गाठा सं 0463 / 2 रकबा 0,130 हेक्टेयर का बाजार मूल्य लाखों रुपये है। राजकीय सम्पत्ति के श्रेणी 14 ( 2 ) प्राचीन परती में दर्ज होने के बावजूद स्थानीय काश्तकार सुनील विश्वास, सुबल विश्वास व सुजीत विश्वास ने सरकारी भूमि को अपने नाम कर लिया। वे वर्षों से इन खेतों को जोतते-बोते रहे हैं।

वर्ष 2018 में निरंजन विश्वास द्वारा आरटीआई में सूचना मांगी गई तो उक्त जमीन पर कब्जा पाया गया। जिसके बाद जिलाधिकारी और एसडीएम को की गई शिकायत पर सम्बन्धित तहसील को सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद वर्ष 2018 में बंदोबस्त विभाग के कर्मचारियों ने भूमि की नापजोख कर भूमि को मात्र कागजी कार्रवाई में नगर पंचायत के सुपुर्द करा दिया, लेकिन कब्जेदार उस जमीन पर फसल बोते रहे।

जब निरंजन विश्वास ने जिलाधिकारी, उपजिलाधिकारी एवं बन्दोबस्त कार्यालय से फसल बिक्री एवं राजकोष में धनराशि जमा करने की सूचना मांगी गयी तो सूचना देने में असफल रहने से मामला सूचना आयोग तक जा पहुंचा। सूचना आयुक्त चन्द्र सिंह नपलच्याल ने नवम्बर 2020 में जिलाधिकारी के माध्यम इसकी जांच करवायी। तहसीलदार सितारगंज की निगरानी में अतिक्रमण की गई सरकारी भूमि पर खड़ी फसल को काटकर धनराशि राजकोष में जमा करवा दी।

उधर बीते दिनों सहायक अभिलेख अधिकारी/उपजिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिलाधिकारी रंजना राजगुरु ने बंदोबस्त कार्यालय के सर्वे लेखपाल सुरेन्द्र कुमार सक्सेना, सर्वे कानूनगो अनिल कुमार श्रीवास्तव व रिटायर्ड सर्वे कानूनगो सलीम हुसैन को लापरवाही करने एवं राजकीय दायित्वों का सत्यनिष्ठा से पालन न करने के कारण प्रत्येक से आठ-आठ हजार रुपये अर्थदण्ड के रूप में वसूली के आदेश दिये हैं।