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कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने. चार धाम यात्रा को लेकर, सरकार पर लगाए बदइंतज़ामी के आरोप

रुद्रप्रयाग : उत्तराखंड में प्रसिद्ध चार धाम यात्रा को हाई कोर्ट नैनीताल के निर्देश पर खोल दिया गया है मगर प्रशासन द्वारा धरातल पर श्री केदारनाथ धाम को पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों को सोनप्रयाग से केदारनाथ तक विकट समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है

उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता सूरज नेगी ने उत्तराखंड सरकार व जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग की लाचार कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आखिर सरकार ने यात्रा शुरू करने से पूर्व न्यायालय में गलत तथ्य पेश किए होंगे तभी न्यायलय ने यात्रा खोलने की अनुमति दी होगी।

नेगी ने कुछ दिन पूर्व हाल ही में राज्य के मुख्य सचिव द्वारा श्री केदारनाथ धाम के दौरे को भी बेमानी साबित करार दिया। उन्होंने कहा कि सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पैदल मार्ग की स्थिति दयनीय बनी हुई है। मार्ग पर कई स्थानों पर बड़े-बड़े बोल्डर पड़े हैं साथ ही कई जगह दलदल जैसी की बनी हुई है। वही शौचालयों में कबाड़ के ढेर लगे हुए हैं। शासन के आला अफसर हवाई दौरे कर देहरादून लौट चुके और धरातल पर हो रही और सुविधाओं से बेखबर थे । जिसकी परिणीति आज यात्रा पर जाने वाले लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर यात्रा करने को मजबूर है वही रास्ते में प्रशासन द्वारा बनाई गई दुकानें भी क्षत-विक्षत है आखिर शव यात्रा शुरू होने के संकेत मिल रहे थे तो जिला प्रशासन आंख बंद करके क्यों बैठा था । इस प्रकार की अव्यवस्थित बुआ और सुविधाजनक यात्रा करवा कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है । सरकार के इस प्रकार खानापूर्ति करने वाले रवैया से राज्य का नाम तो खराब होगा ही साथ ही श्री केदारनाथ धाम पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा ।

नेगी ने कहा कि उन्हें सरकार द्वारा यात्रा खोले जाने को लेकर न्यायालय में दिए गए हलफनामे पर भी संदेह हो रहा है क्योंकि ना तो रास्ते में आधारभूत सुविधाएं दिख रही है और ना ही पैदल मार की स्थिति ठीक है तथा सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पैदल मार्ग में स्वास्थ्य सुविधाओं को भी चाक-चौबंद नहीं किया गया है

दूसरी ओर उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश कब तक सूरज नेगी ने उत्तराखंड शासन पर यात्रा को लेकर घोर लापरवाही का आरोप लगाया है । उन्होंने कहा कि यदि शासन द्वारा जिला प्रशासन को समय रहते सुविधाओं को जुटाने के निर्देश दिए जाते तो आज पैदल मार्ग की ऐसी दुर्दशा नहीं होती और जिला प्रशासन कुंभकरण की नींद में नहीं सोया रहता जिसका खामियाजा सीधे-सीधे यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी उठाना पड़ रहा है । उन्होंने प्रशासन की अकर्मण्यता पर अफसोस जताते हुए कहा कि इस प्रकार की लापरवाही यात्रा को लेकर कभी भी नहीं देखी गई !