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शादी-विवाह के जश्न में व्यस्त सैकड़ों बाराती-घराती नहीं डाल पाए वोट

मतदान जागरूकता कार्यक्रम का सीमित प्रचार नहीं डाल पाए मतदाताओं पर असर

लगभग 5 प्रतिशत कम रहा मतदान

बारातियों ने कहा, चुनाव आयोग को मतदान की डेट तय करते समय शादी के मौसम को ध्यान में रखना चाहिए था

देहरादून। निर्वाचन आयोग के 75 प्रतिशत मतदान की मुहिम को मतदाताओं ने करारा झटका दिया। और फाइनल आंकड़े आने तक उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों पर बमुश्किल 56 प्रतिशत मतदान की खबर है। प्रदेश में कुल 83 लाख मतदाता हैं।

2019 में उत्तराखंड में 61.30 व 2014 में 61.67 प्रतिशत मतदान हुआ था। और भाजपा पांचों लोकसभा सीट जीत गयी थी।

2009 में 53.43 प्रतिशत मतदान हुआ था। कांग्रेस ने पांचों सीट जीत ली थी। 2004 में 48.07 प्रतिशत मतदान हुआ था। तीन सीट भाजपा ने जबकि कांग्रेस व सपा ने एक एक सीट जीती थी।

इस बार लगभग 6 प्रतिशत मतदान कम होने की खास वजह में सरकारी मशीनरी की सामान्य परफॉर्मेंस के अलावा वोट बहिष्कार और विवाह का साया भी एक प्रमुख तौर पर गिनाई गयी है।

यमकेश्वर, चकराता, चमोली के कुछ इलाकों के हजारों मतदाता अपनी मांगों के समर्थन में मतदान का बहिष्कार करते नजर आए। हालांकि,प्रशासन ने इन्हें मनाने की कोशिश की। लेकिन बात नहीं बनी।

सरकारी मशीनरी का मतदान के पक्ष में माहौल बनाने के लिए सोशल मीडिया का समुचित उपयोग नहीं किया गया। मतदाता जागरूकता अभियान को गति देने के लिए विभिन्न सेक्टर का उपयोग भी बड़े पैमाने पर नहीं हो पाया। प्रचार-प्रसार के लिए उम्दा रणनीति का अभावभी झलका।

भाजपा के जबरदस्त स्टार प्रचारकों के प्रदेश में कई सभाएं करने के बाद भो शहरी इलाकों में 2019 कई तुलना में कम मतदाता बाहर निकले। चूंकि,इस चुनाव में 2019 कई तरह मोदी लहर भी नजर नहीं आयी। ऐसे में फ्लोटिंग मतदाता भी आराम की मुद्रा में नजर आया।

हालांकि, जानकार गर्मी को भी कम मतदान की एक अन्य वजह बता रहे हैं। लेकिन ठंडे मौसम वाले पहाड़ी इलाकों के बजाय हरिद्वार व उधमसिंहनगर के गर्म मैदानी इलाकों में ज्यादा मतदान हुआ। मतदान के दौरान शादी के जोड़े में दूल्हा व दुल्हन की वोट डालते फ़ोटो भी खूब वॉयरल हुई।

देखें तुलनात्मक मतदान प्रतिशत

 2024- 2019

टिहरी  52.57% 58.87%

पौड़ी- 50.84% 55.17%

हरिद्वार- 62.36% 69.24%

अल्मोड़ा – 46.94% 48.78%

नैनीताल- 61.35 % 66.39%