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टिहरी झील में जलस्तर बढ़ने से बांध के नजदीकीे ग्रामीणों में भय का माहौल, टीएचडीसी ने कहा इससे कोई खतरा नहीं

नई टिहरी: लगातार हो रही बारिश के चलते टिहरी झील का जलस्तर भी बढ़ता जा रहा है। झील का जलस्तर बढ़ जाने से बांध प्रभावित परिवारों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। झील का पानी गांव के नजदीक पहुंच गया है जिससे वहां निवास कर रहे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। हालांकि टीएचडीसी का कहना है कि जलस्तर बढ़ाने से गांवों को किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। इससे डरने की आवष्यकता नहीं है।

टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर आरएल 828 मीटर भरने की अनुमति थी, लेकिन बीते 25 अगस्त को सरकार ने अधिकतम 830 मीटर जलभराव की अनुमति दी है। अनुमति मिलने के बाद टीएचडीसी ने जलस्तर बढ़ाना शुरू कर दिया है। मंगलवार को जलस्तर आरएल 828.60 मीटर पहुंच गया है।

भागीरथी नदी से 400 क्यूमेक्सए भिलंगना से 125 और सहायक नदियों से 150 क्यूमेक्स पानी का बहाव दर्ज किया गयाए जिसमें से 448 क्यूमेक्स पानी नदी की ओर छोड़ा जा रहा है। जलस्तर बढ़ने से खांड, रमोलगांव, सरोठ, उप्पू, नंदगांव, रौलाकोट, छोलगांव, लुणेटा, भल्डगांव आदि के नजदीक पानी पहुंचने लगा है, जिससे गांव में रह रहे लोगों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। स्थनीय लोगों का कहना है कि जल स्तर बढ़ने से झील के आसपास स्थित गांवों में भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि इस वर्ष अभी किसी भी गांव के आसपास से भूस्खलन की समस्या सामने नहीं आई है।

टीएचडीसी के अनुसार पूर्व में ही टिहरी झील के आरएल 835 मीटर तक के परिवारों का संपूर्ण पुनर्वास किया जा चुका है। इस परिधि में अब कोई भी परिवार निवासरत नहीं है।  कॉलेकट्रल डैमेज पॉलिसी की सिफारिश के अनुसार जिन परिवारों को पात्र पाया गया है, उन्हें नकद भुगतान के लिए एक सप्ताह के अंदर पुनर्वास निदेशालय को धनराशि दी जाएगी। झील के जल स्तर पर निरस्तर निगरानी रखी जा रही है। जलस्तर बढ़ने से भूस्खलन जैसी कोई समस्या नहीं है।