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कांग्रेस का आरोप, जनता व राशन विक्रेताओं का उत्पीड़न कर रही है राज्य सरकार: मनीष एवं सूरज नेगी

देहरादून: पूर्व राज्य मंत्री व अखिल भारतीय पंचायत परिषद के प्रदेश संयोजक मनीष कुमार व कांग्रेस के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता, सूरज नेगी ने भाजपा की राज्य सरकार पर राशन विक्रेताओं के उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने राशन विक्रेताओं की हड़ताल का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए।

उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राशन विक्रेताओं की हड़ताल को एक सप्ताह से अधिक का समय हो गया है, परंतु राज्य सरकार उनकी जायज मांगों को पूरा नहीं कर रही है। राशन विक्रेताओं को प्रधानमंत्री खाद्यान्न वितरण पे कमीशन का भुगतान अभी तक नहीं हुआ है। दूसरा जो लाभांश सरकार ने विक्रेताओं को देने की घोषणा की थी, वह भी आज तक उन्हें नहीं मिला पाया है।

खाद्यान्न ऑनलाइन वितरण करने के लिए जो मोबाइल डाटा विक्रेताओं को दिया जाना चाहिए वह आज तक नहीं मिला और ना ही उसका कोई भुगतान हुआ है। दिल्ली राज्य के मुकाबले यहां पर विक्रेताओं को कमीशन भी कम दिया जा रहा है, जबकि राजधानी दिल्ली में यह लगभग दुगना है। पूरे कोरोना काल में राशन विक्रेताओं ने राशन का वितरण किया, जिसमें कई राशन विक्रेता स्वर्ग भी सिधार गए गए परंतु राज्य सरकार इनकी सुध लेने के बजाय इनका उत्पीड़न करने में लगी हुई है।

कहा कि यह हड़ताल पूरे राज्य में चल रही है। दूसरा इस हड़ताल के चलते गरीब जनता को राशन नहीं मिल पा रहा है। अभी कुछ माह पूर्व ही राज्य सरकार ने दस किलो गेहूं चावल एपीएल कार्ड धारकों को देने की घोषणा की थी, जो योजना 3 माह में ही दम तोड़ गई। केवल 3 माह तक यह दिया गया, उसके बाद इसको बंद कर दिया गया।

उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ राज्य की जनता को गुमराह करने और वाहवाही लूटने का भाजपा सरकार कार्य कर रही है। आज एपीएल कार्ड धारकों को केवल ढाई किलो चावल और 5 किलो गेहूं दिया जा रहा है। इसी प्रकार से जिन्होंने चीनी का वितरण भी केवल 3 माह के लिए किया, उसको भी बंद कर दिया गया है। कहा कि भाजपा की सरकार यह बताए कि क्या केवल ढाई और 5 किलो गेहूं में एक परिवार अपना गुजारा कर सकता है, इसका जवाब राज्य सरकार को देना चाहिए।

राज्य सरकार के खाद्यान्न वितरण को लेकर किए जा रहे दावे हवा हवाई साबित हो रहे हैं। वहीं जनता को केवल झूठी घोषणाओं और जुमलो के सहारे बेवकूफ़ बनाया जा रहा है।