संजय किमोठी
देहरादून/पहाड़: पिछले कुछ दिनों से उत्तराखण्ड के जंगलों में आग धधक रही है,जिसमें हजारों की संख्या में पेड़,पशु,पक्षी,चारागाह जलकर खाक हो रहे हैं।
समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों के माध्यम से आप देख रहे होंगे,कोई सरकार को जिम्मेदार ठहराता है तो कोई अधिकारीगणों,को तो कोई वन विभाग को,
जमीनी हकीकत तो यह है कि हर वो ब्यक्ति ,और ग्रामीण गाँववासी,शहरवासी,बडा़ आदमी,छोटा आदमी,उच्च वरगीय ,मध्यम वरगीय ,निम्न वर्गीय,जब तक वन सपदा को बचाने के लिए आगे नहीं आयेगा,बनों को आग लगाने वाले अपराधियों से नहीं बचायेगा,ऐसे परिणाम आते रहेंगे।
फोटो में आप देखिए एक चिडि़या अपनै घोंसले के पास ही जल कर खाक हो गयी, पर आपनी आने वाली पीढी़ को बचाने के लिए उसके पास ही रही।
एक अमानवीय घटना में, न खुद को बचा सकी और न अपनी आने वाली पीढी़ को,माँ तो माँ है कैसे अपना घर छोड़ सकती थी।
चाहती तो उड़ सकती थी,बच सकती थी पर सिर्फ अपनी आने वाली पीढी़ को बचाने में जलकर खाक हो गयी।
कहीं ये नौबत आप और हम तक न आ पंहुचे कि ऐसे हालात हो जाँय और,हम आप कुछ न कर पाऐं इसलिय,जागो मानव जागो,इस धरती माँ को बचाओ।