बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार तख्ता पलट के कारण वहाँ बढ़ती, बेरोजगारी, हर विभाग में बढ़ता भ्रष्टाचार, मंहगाई जिससे आम आदमी का जीना दूभर हो गया था। हसीना सरकार की इन नीतियों के परिणामस्वरूप ये समस्याऐं बढ़ाई। हमारे देश की तरह ही हसीना सरकार में पार्टी के लोग महत्वपूर्ण पदों पर बैठे थे तथा परमिट लाइसेन्स अपने लोगों को ही दिए जाने के कारण देश में एक खाता पीता तबका विकसित हो गया तथा जनता में दिनोंदिन भारी असंतोष बढ़ रहा था । विरोध की हर आबाज को सरकार दबा रही थी। विरोधियों को आये दिन जेल भेजा जा रहा था । जनवरी 2024 में हुए देश के आम चुनाव में व्यापक धांधली तथा हसीना सरकार निरन्तर तानाशाही की ओर बढ रही थी।
बर्ष 1971 पाकिस्तान से अलग होकर बंगलादेश बना तथा मुक्ति वाहिनी ने लड़ाई लड़ी और पूरी तरह भारत ने मुक्ति वाहनी का साथ दिया। बांग्लादेश बनने के बाद मुक्ति वाहिनी के परिवार के युवाओं को नौकरियों में 30% आरक्षण का प्रावधान था जिसे घटाकर 5% कर दिया गया है।
देश का छात्र युवा बेरोजगारी से तंग थे ।तथा वे भबिष्य के प्रति असुरक्षित महसूस कर रहे थे वे इस आरक्षण के कोटे को कम करने की मांग कर रहे थे। छात्रों का आन्दोलन शुरु हुआ जो पूरे बंगला देश में फैल गया।
हसीना सरकार ने आन्दोलनकारी छात्रों से वार्ता कर समस्याओं का निदान करने के बजाए दमन का रास्ता अपनाया। पुलिस गोलीबारी में कई छात्र मारे गए परिणाम स्वरूप आन्दोलन और तीव्र हो गया। आरक्षण कम करने की मांग से शुरु हुआ आन्दोलन हसीना के इस्तीफा देने की मांग में बदल गया तथा हसीना विरोधी ताकतें आन्दोलन में सक्रिय हो गई जिनमें जमाते ए इस्लामी जैसे साम्प्रदायिक संगठन आन्दोलन में आगे आ गए तथा हसीना को इस्तीफा देकर देश से भागना पड़ा। पाकिस्तान और अमेरिका समर्थित जमात ए इस्लामी ने आन्दोलन को भारत और हिन्दुओं के खिलाफ मोड़ने की कोशिश की तथा हिन्दुओं के घरों दुकानों को जलाना, हत्या करना आदि की 200 से अधिक घटनाएं हुई हैं।
1971 की बंगला देश की मुक्ति से जुड़ी मूर्तियों को तोड़ा गया है। कट्टरपंथी जमात ए इस्लामी वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने का प्रयास कर रही है यही हाल हमारे देश कठ्ठरपंथियों का रहा जिन्होंनै इस स्थिति का लाभ उठाने की नापाक कोशिश की । हालांकि छात्रों और आम नागरिकों ने टीम बनाकर हिन्दुओं के घरों, प्रतिष्ठानो की रक्षा भी की है। बाग्लादैश कि कम्युनिस्ट पार्टी ने शुरू से ही शान्ति सदभाव तथा आपसी भाईचारे कै प्रयास उल्लेखनीय है । अन्तरिम सरकार से उम्मीद है हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को वह तुरन्त सख्ती से रोके। भारत सरकार को भी चाहिए वह चुप्पी तोड़कर संयुक्त। राष्ट्र संघ ( यूएनओ )और बांग्लादेश कि अन्तरिम सरकार पर दबाब डालकर हिन्दुओं अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करानी चाहिए। बंगला देश की इस समय स्थिति बहुत जटिल है। हमारे देश में भी ऐसे संगठन बँगला देश के तख्ता पलट को साम्प्रदायिक रंग देकर हिन्दुओं पर हमले के रुप में प्रचार कर रहे हैं। ये साम्प्रदायिक ताकतें भारत व बंगला देश में हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण को तीखा करना चाह रही हैं। इससे जमात ए इस्लामी को बल मिल रहा है।
भारत में हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि उकसावे वाली ऐसी कोई कार्यवाही व दुष्प्रचार न करें जिससे बंगला देश और भारत दोनों देशों के अल्पसंख्यकों का जीवन खतरे में पडे।
हमारी कोशिश रहनी चाहिए कि दोनों देशों के रिश्ते खराब न हों।