देहरादून: पिछले सप्ताह बर्फबारी होने से दारमा घाटी में कई जगह ग्लेशियर खिसकने लगे हैं।
इससे सीपीडब्ल्यूडी की निर्माणाधीन सड़क सेला से बालिंग तक कई जगह बंद हो गई है।
दारमा घाटी के अंतिम गांव सीपू और मार्छा को जोड़ने वाला सीपू गाड़ पर बना लकड़ी का पुल बाढ़ में बह गया है।
आईटीबीपी से इसकी जानकारी मिलने के बाद सीपू गांव के लोगों को अप्रैल से शुरू होने वाले माइग्रेशन के प्रति चिंता बढ़ गई है।
स्थानीय युवा मान सिंह दुग्ताल, प्रकाश दुग्ताल, रमेश दुग्ताल, योगेश, जितेंद्र और अन्य पूर्व दिन पहले अपनी बाइकों से पंचाचूली ग्लेशियर घूमकर अपने गांव का जायजा लेने जा रहे थे।
तभी उन्हें सेला से आगे की सड़क बंद मिली। ग्लेशियर खिसकने के कारण सड़क बर्फ में दब चुकी थी।
इन साहसी युवाओं ने वुरुंग, स्यागर, युसुंग और गलछिन नाले पर सड़क से स्वयं बर्फ हटाई और धक्का देकर बाइकें निकालीं। तभी वह अपने गांव पहुंच सके। वहां से लौटे प्रकाश दुग्ताल ने बताया कि इन स्थानों पर पिछले बरसों से कम बर्फ जमी है।
इस कारण उम्मीद जताई कि दो-तीन दिन में विभाग इस सड़क से बर्फ हटा लेगा। उन्होंने आगामी माइग्रेशन से पहले प्रशासन और विभाग से बर्फ हटाने की मांग की है। ताकि स्थानीय लोगों के साथ ही सुरक्षा बलों को भी आवागमन की सुविधा मिल सके।
दीलिंग दारमा सेवा समिति के कोषाध्यक्ष जीवन सिंह सीपाल ने बताया कि बाढ़ से सीपू गाड़ पर बना लकड़ी का पुल बह गया है। इस पुल का निर्माण पिछले साल ही किया गया था।
इस पुल के टूटने से माइग्रेशन पर जाने वाले सबसे दूरस्थ गांव सीपू के 15 से 20 परिवारों को परेशानी हो सकती है।
समिति और ग्रामवासियों ने प्रशासन को ज्ञापन देकर लकड़ी का नया पुल बनाने की मांग की।