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भारत के संविधान अंगिकार की 75 वीं बर्षरगांठ पर विशेष 

अम्बेडकर ने संविधान की रचना कर दबे कुचलों की आवाज बुलन्द की – अनन्त आकाश

14 अप्रैल 1891 मिथ आर्मी कैन्टोमेन्ट में जन्मे भारत के संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर तत्कालीन समाज के सर्वाधिक कमजोर परिवार से सम्बद्ध रखते थे । जो कि सदियों से सामन्ती व्यवस्था के जकड़न के साथ ही भारी भेदभाव झेलने के लिए विवश था । सदियों से भेदभाव का ढ़ंस झेल रहे दलित ,महिलाओं एवं पिछड़े समाज के बड़़े हिस्से को उन दिनों भी दलितों एवं पिछड़ों को सांमती व्यवस्था में काफी कुछ प्रतिबन्धों को झेलना पड़ता था ,उन्हें खुलेतौर पर सार्वजनिक स्थानों पर आने जाने में भारी प्रतिबन्ध था ,उनका जीवन रूढिवादी समाज की इच्छा तथा दया पर निर्भर था । ।यह सब कुछ अम्बेडकर एवं उनके परिवार के साथ भी पीढ़ी दर पीढ़ी होता चला आ रहा था । दलित परिवार से होने के नाते सामन्ती व्यवस्था की कुप्रथाओं एवं शोषण एवं उत्पीड़न का शिकार उन्हें पल – पल सहना पड़ रहा था , शुरुआत उनके स्कूली दिनों से ही हुई । भेदभाव के बावजूद भी वे सामाजिक कुरीतियों से जुझते हुऐ उन्होंने अपनी पढा़ई जारी रखी ,बहुमुखी प्रतिभा के धनी अम्बेडकर शिक्षा में भी अब्बल थे ।भारी कष्टों को सहते हुऐ 1917 में कोलम्बिया विश्वविद्यालय से डायरेक्टेट की उपाधि ग्रहण कर सदियों से चली आ रही परम्परा को तोड़ा तथा लम्बी छलांग लगाई तथा साबित किया कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन हो ,उसे लड़ा भी जा सकता है ,और जीता भी जा सकता है।

वे सामाजिक भेदभाव के खिलाफ दलितों तथा समाज के दबे कुचले वर्ग के जागरण के लिए लिखते भी रहे तथा आन्दोलन भी करते रहे ,हिन्दू धर्म की बिषमताओं के खिलाफ उन्होंने काफी कुछ लिखा , तथा हिन्दू धर्मान्धता के चलते उन्होंने बौध्द धर्म तक को अपनाया ।उन्होंने 1956 में बौध्द धर्म पर टिप्पणी पर सावरकर को बुरी तरह लताड़ा उन्हें समाज को विभाजित करने वाला संकीर्ण इंसान कहा । अम्बेडकर कई मायने में गाधीजी से असहमति रखते थे ,वे आधुनिक भारत के संविधान निर्माता थे, जिनकी दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप दलितों ,अल्पसंख्यकों ,महिलाओं ,आदिवासियों तथा समाज के कमजोर तबकों को शिक्षा ,नौकरियों में आरक्षण आदि का अधिकार मिला जिस कारण आज उनके जीवन स्तर में सुधार देखने को मिला ।संविधान में हरेक व्यक्ति के लिए मौलिक अधिकार का प्रावधान भी उन्हीं की देन है । अम्बेडकर शिक्षा को परिवर्तन का हथियार मानते थे , इसलिए वे शिक्षा पर जोर देते थे तथा दलित समाज को अपने आगे बढाने के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते थे । वे इस आजादी से खुश नहीं थे क्योंकि ऐ आजादी अधूरी थी । जिसमें बुनियादी नीतियों में ज्यादा बदलाव नहीं था ।संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर हम सभी को उन ताकतों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लेना चाहिए, जो साम्प्रदायिक ,जातीय, आर्थिक आधार पर देश की जनता के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं तथा जिन्होंने देश को आज ऐसी जगह खड़ा कर करके रख दिया जहाँ आम जनता अपने आपको असहाय महसूस कर रही है ।बाबा साहेब ने विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने का संकल्प नहीं छोड़ा ,इसलिए आज देश की जनता को मिलजुलकर कारपोरेटपरस्त ,साम्प्रदायिक ,फूटपरस्त नीति तथा राजनैतिक रूप अधिनायकवादी प्रवृति के खिलाफ एकजुटता के साथ अपने संघर्ष को तेज करना होगा ।

बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर समता मूलक समाज के स्वप्न को साकार करना होगा ।
आज संविधान दिवस है। 26 नवम्बर 1949 को हमारा संविधान तैयार होकर संविधान सभा द्वारा अंगीकार किया गया था ।

भारतीय_संविधान के महत्‍वपूर्ण तथ्य :-
समितियाँ और उसके अध्यक्ष:–
प्रक्रिया विषयक नियमों संबंधी समिति:– डा० राजेन्द्र प्रसाद
संचालन समिति:– डा०राजेन्द्र प्रसाद ।
वित्त एवं स्टाफ समिति:– डा०राजेन्द्र प्रसाद
प्रत्यय-पत्र संबंधी समिति:–अलादि कृष्णास्वामी अय्यर ।
आवास समिति;–बी पट्टाभि सीतारमैय्या ।
कार्य संचालन संबंधी समिति:– के.एम. मुन्शी ।
राष्ट्रीय ध्वज संबंधी तदर्थ समिति:– डा० राजेन्द्र प्रसाद
संविधान सभा के कार्यकरण संबंधी समिति:–जी.वी. मावलंकर ।
राज्यों संबंधी समिति:– जवाहर लाल नेहरू ।
मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक एवं जनजातीय और अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी सलाहकार समिति:- बल्लभ भाई पटेल ।
अल्पसंख्यकों उप-समिति:- एच.सी. मुखर्जी ।
मौलिक अधिकारों संबंधी उप-समिति:– जे. बी. कृपलानी
पूर्वोत्तर सीमांत जनजातीय क्षेत्रों और आसाम के अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों संबंधी उपसमिति:– गोपीनाथ बारदोलोई ।
अपवर्जित और आंशिक रूप से अपवर्जित क्षेत्रों (असम के क्षेत्रों को छोड़कर) संबंधी उपसमिति:- ए.वी. ठक्कर ।
संघीय शक्तियों संबंधी समिति:– जवाहर लाल नेहरू ।
संघीय संविधान समिति:- जवाहर लाल नेहरू ।
प्रारूप जांच समिति:– बी.आर. अम्बेडकर ।

भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था , ग्रेट ब्रिटेन से स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने ।

(1) कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 ई० में किया गया ।

(2) संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निश्चित की गई थी, जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि थे ।

(3) मिशन योजना के अनुसार जुलाई, 1946 ई० में संविधान सभा का चुनाव हुआ. कुल 389 सदस्यों में से प्रांतों के लिए निर्धारित 296 सदस्यों के लिये चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 स्थान एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्‍मीदवार निर्वाचित हुऐ ।

(4) 9 दिसंबर, 1946 ई० को संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली स्थित काउंसिल चैम्बर के पुस्तकालय भवन में हुई. सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्‍यक्ष चुना गया. मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्‍कार किया और पाकिस्तान के लिए बिलकुल अलग संविधान सभा की मांग प्रारम्भ कर दी ।

(5) हैदराबाद एक ऐसी रियासत थी, जिसके प्रतिनिधि संविधान सभा में सम्मिलित नहीं हुए थे ।

(6) प्रांतों या देशी रियासतों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधित्व दिया गया था. साधारणतः 10 लाख की आबादी पर एक स्थान का आबंटन किया गया था ।

(7) प्रांतों का प्रतिनिधित्व मुख्यतः तीन समुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था, ये समुदाय थे: मुस्लिम, सिख एवं साधारण ।

(8) संविधान सभा में ब्रिटिश प्रातों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर किया गया- 213 सामन्य, 79 मुसलमान तथा 4 सिख ।

(9) संविधान सभा के सदस्यों में अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 33 थी ।

(10) संविधान सभा में महिला सदस्यों की संख्या 12 थी ।

(11) 11 दिसंबर, 1946 ई. को डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई अध्यक्ष निर्वाचित हुए ।

(12) संविधान सभा की कार्यवाही 13 दिसंबर, 1946 ई. को जवाहर लाल नेहरू द्वारा पेश किए गए उद्देश्य प्रस्‍ताव के साथ प्रारम्भ हुई ।

(13) 22 जनवरी, 1947 ई. को उद्देश्य प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण हेतु अनेक समितियां नियुक्त कीं. इनमे प्रमुख थी- वार्ता समिति, संघ संविधान समिति, प्रांतीय संविधान समिति, संघ शक्ति समिति, प्रारूप समिति ।

(14) बी. एन. राव द्वारा किए गए संविधान के प्रारूप पर विचार-विमर्श करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त, 1947 को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया. प्रारूप समिति के सदस्यों की संख्या सात थी, जो इस प्रकार है: –
i. डॉ. भीमराव अम्बेडकर (अध्यक्ष)
ii. एन. गोपाल स्वामी आयंगर
iii. अल्लादी कृष्णा स्वामी अय्यर
iv. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
v. सैय्यद मौहम्मद सादुल्ला
vi. एन. माधव राव (बी.एल. मित्र के स्थान पर)
vii. डी. पी. खेतान (1948 ई. में इनकी मृत्यु के बाद टी. टी. कृष्माचारी को सदस्य बनाया गया). संविधान सभा में अम्बेडकर का निर्वाचन पश्चिम बंगाल से हुआ था ।

(15) 3 जून, 1947 ई. की योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने पर भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 नियत की गई, जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिय और 89 स्थान देसी राज्यों के लिए थे ।

(16) देश-विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 ई. को किया गया और 31 दिसंबर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थीं, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या एवं देसी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी ।

(17) प्रारूप समिति ने संविधान के प्रारूप पर विचार विमर्श करने के बाद 21 फरवरी, 1948 ई. को संविधान सभो को अपनी रिपोर्ट पेश की ।

(18) संविधान सभा में संविधान का प्रथम वाचन 4 नवंबर से 9 नवंबर, 1948 ई. तक चला. संविधान पर दूसरा वाचन 15 नवंबर 1948 ई० को प्रारम्भ हुआ, जो 17 अक्टूबर, 1949 ई० तक चला. संविधान सभा में संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर, 1949 ई० को प्रारम्भ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई० तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया. इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे ।

(19) संविधान निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष, 11 महीना और 18 दिन लगे. इस कार्य पर लगभग 6.4 करोड़ रुपये खर्च हुए‌।

(20) संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई‌।

(21) संविधान को जब 26 नवंबर, 1949 ई० को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं. वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं ।

(22) संविधान के कुछ अनुच्छेदों में से 15 अर्थात 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 372, 380, 388, 391, 392 तथा 393 अनुच्छेदों को 26 नवंबर, 1949 ई० को ही परिवर्तित कर दिया गया; जबकि शेष अनुच्छेदों को 26 जनवरी, 1950 ई० को लागू किया गया ।

(23) संविधान सभा की अंतिम बैठक 24 जनवरी, 1950 ई० को हुई और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया ।

(24) कैबिनेट मिशन के सदस्य सर स्टेफोर्ड क्रिप्स, लार्ड पेंथिक लारेंस तथा ए० बी० एलेक्ज़ेंडर थे ।