देहरादून: उत्तराखंड में लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अभी तक एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के 25 मरीज मिल चुके हैं। वहीं उत्तराखंड के तीन अन्य स्थानों पर भी एक-एक मरीज मिले हैं। कोरोना के बाद बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है।
देश अभी कोरोना जैसी महामारी है निपट नहीं पाया था कि अब ब्लैक फंगस जैसी बीमारी भी लगातार अपने पैर पसार रही है। एम्स ऋषिकेश में अभी तक ब्लैक फंगस के कुल 25 मरीज आ चुके हैं। इनमें से एक की मौत भी हो चुकी है। इसके साथ ही अल्मोड़ा में एक और देहरादून के मैक्स हॉस्पिटल और महंत इंद्रेश हॉस्पिटल में एक-एक मरीज ब्लैक फंगस के पाए गए हैं।
इस तरह से लगातार ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसने जरूर सरकार की चिंता बढ़ा दी है। हालांकि एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए बाकायदा एक वार्ड तैयार किया गया है। इसमें उनका उपचार किया जाएगा। एम्स में बाकायदा इसके लिए 15 चिकित्सकों की टीम भी बनाई गई है।
देहरादून के जिला अधिकारी आशीष श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके घोषणा की कि ब्लैक फंगस के मरीजों का उपचार एक ही अस्पताल में किया जाएगा। हर जिले में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए विशेष वार्ड बनाया जाएगा।
देहरादून जिले में स्थित एम्स ऋषिकेश में ब्लैक फंगस के 25 मरीज भर्ती हैं। अल्मोड़ा में इसका एक मरीज मिल चुका है। देहरादून के मैक्स अस्पताल और महंत इंद्रेश अस्पताल में ब्लैक फंगस के एक-एक मरीज मिले हैं।
कोरोना से ठीक होने के 14 से 15 दिन बाद ब्लैक फंगस के मामले देखे जा रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में पॉजिटिव होने के दौरान भी यह पाया गया है। यह बीमारी सिर्फ उन्हें होती है जिनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। देश के 11 राज्यों में यह फैल चुका है।