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केदारघाटी में पाँडवाणी की अलग ही विधा है-नौटियाल

देहरादून।   देहरादून प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में आचार्य कृष्णानन्द नौटियाल ने कहा महाभारत मँडाँण पुस्तिका में पाँडवों ने जो भी किया उसका इतिहास केदारघाटी में मिलता है।उत्तराखँड में पाँडव हरिद्वार पँहुचे और यहीं से देवभूमि में विचरण किया बद्रीनाथ से स्वर्गारोहिणी गये,केदार घाटी में आज भी युद्व के प्रमाणित चक्रब्यूह की रचना होती है।

कमल के समान जो ब्यूह रचना होती हैउसे कमलब्यूह कहते हैं। केदार क्षेत्र में ये सब आज भी होते हैं।केदारघाटी में इन आयोजनों के समय वृहद आयोजन किया जाता है। समरसता का माहोल होता है,पाँडवों का आव्हान किया जाता है।पाँडवों के परिपेक्ष्य में जो भी वार्ता की जाती है सबको सुनायी जाती है पाँडवाणी कहते हैं।महाभारत काल में जो भी घटनाँए घटित हुई आचार्य नौटियाल  ने नयी पीढी को इसकी जानकारी हेतु प्रकाशित की है। इस अवसर परठाकुर भवानी प्रताप सिंह पँवार,ठाकुर नरेन्द्र सिंह रौथाण,डा0राकेश भट्ट,प्रदीप सेमवाल,मीना बासकन्डी,ललिता रौतेला,प्रियाँशी,आदि मौजूद रहे।