देहरादून। कुमाऊं क्षेत्र के वन अधिकारियों द्वारा वन गूजरों के उत्पीड़न के मामले को लेकर विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक संगठनों के एक प्रतिनिधि मंडल ने पीसीसीएफ चीफ समीर सिन्हा वन्यजीव को ज्ञापन देकर वार्ता की।
पीसीसीएफ वन्यजीव ने मामले पर तत्काल कुमाऊं कंजर्वेशन को जांच के आदेश जारी कर रिपोर्ट तलब की है।
प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि वन प्रभाग तराई पूर्वी व पश्चिमी के अधिकारी वन तस्करी की शिकायत का संज्ञान लेने की जगह उल्टा शिकायतकर्ता को ही धमकाने और उनके खिलाफ कार्रवाई कर रहे है।
5 जून को तराई पश्चिमी वन प्रभाग की आम पर पोखरा रेंज में अवैध सागौन की लकड़ी काटे जाने की शिकायत डीएफओ से व टाल फ्री नंबर पर की गई थी। डीएफओ ने शिकायत अवैध कटान के खिलाफ कार्रवाई करने की जगह उल्टा शिकायतकर्ता को ही धमकी देने लगे।
17 जुलाई को रनसाली रेंज में भी वन गूजरों ने तस्करों द्वारा ट्रैक्टर ट्राली पर ले जाई जा रही शीशम, खैर, रोनी आदि की लकड़ियां बरामद कर ट्राली वन विभाग के सुपुर्द की थी लेकिन वन विभाग के अधिकारी शिकायत करने वाले गुलाम रसूल को ही धमकाने लगे। वन विभाग के कर्मचारियों ने फर्जी आरोप लगाकर शिकायत कर्ता की बाइक ही सीज कर दी और उसे झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन गूजर की किलपुरा भूमि को लेकर स्थगन आदेश दिये जाने के बावजूद भी वृक्षारोपण की कार्यवाही की जा रही है। प्रतिनिधि मंडल ने कोर्ट के आदेश का अनुपालन किए जाने,वनाधिकार कानून को लागू किये जाने तथा गैर कानूनी तरीके से वन गूजरों को नोटिस दिये जाने पर भी रोक लगाने की मांग की गई है।
प्रतिनिधि मंडल में वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष अरुण जोशी, समाजवादी लोकमंच के संयोजक मुनीष कुमार, उत्तराखंड किसान सभा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवान, वन गुर्जर मोहम्मद अशरफ, मोहम्मद कासिम, गुलाम रसूल व मौ गनी , महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत, सरस्वती जोशी, सरपंच जगदीश चंद्र, किसान संघर्ष समिति के संयोजक ललित उप्रेती, राजेन्द्र सिंह, लक्ष्मी सिंह इत्यादि शामिल रहे।