देहरादून। देहरादून में एलिवेटेड रोड और एनजीटी आदेशों से प्रभावित नागरिकों ने एकत्र होकर “बस्ती बचाओ आंदोलन” के बैनर तले सभा की और सरकार से न्यायसंगत मुआवजा एवं पुनर्वास की मांग की। आंदोलनकारियों का कहना है कि बिंदाल नदी के किनारे बसे गरीबों के घरों को चिन्हित कर जून माह तक उजाड़ने की तैयारी की जा रही है।
सभा में वक्ताओं ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के आदेशों की आड़ में केवल गरीबों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि प्रभावशाली लोगों और सरकारी कब्जों को नजरअंदाज किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रिस्पना और बिंदाल नदियों के फ्लड ज़ोन में बसे गरीबों के साथ हो रहे अन्याय पर न तो सरकार और न ही न्यायपालिका गंभीरता से ध्यान दे रही है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि पुनर्वास और मुआवजे से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
सभा में वक्ताओं ने सरकार के समक्ष निम्नलिखित मांगें रखीं:
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एनजीटी के आदेशों के तहत अवैध घोषित मकानों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।
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एलिवेटेड रोड परियोजना से प्रभावित सभी लोगों को नियमानुसार मुआवजा और पुनर्वास मिले।
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जबरन विस्थापन की बजाय तय मानकों और बाजार दर के आधार पर मुआवजा एवं समुचित पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए।
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सरकार स्पष्ट करे कि प्रभावितों के लिए क्या और कहाँ व्यवस्था की गई है।
इस अवसर पर अनंत आकाश, मोहम्मद अल्ताफ, नुरैशा अंसारी, संजय भारती, अदनान, अंजु भारती, तमरेज, रज्जो, सलीम, हसीन, हामिद और असगर अली सहित कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे और आंदोलन को आगे तेज़ करने का संकेत दिया।