चन्द्रशेखर आजाद नगर कांवली को मालिकाना हक दो
देहरादून। आज बस्ती बचाओ आ्दोलन के वैनर के तहत सैकडो़ प्रभावितों प्रदर्शन के माध्यम से मेयर नगर निगम याद दिलवाया कि आपकी सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान गरीब बस्तियों में आकर आश्वासन दिया था कि कोई भी गरीब बेघरबार नहीं किया जायेगा तथा बस्तियों को उनका मालिकाना हक मिलेगा । जबकि हकीकत यह कि चुनाव के तुरंत बाद ही रिस्पना -बिन्दाल में एलिवेटेड रोड़ ,एनजीटी के आदेश के नाम पर प्रभावितों के भवनों का चिन्हित कर उन्हें बेदखल करने की तैयारी जोरों पर है ।
इस अवसर वक्ताओं ने कहा है कि मेयर सहित स्थानीय सभी विधायक/पार्षद प्रभावितों की सहायता करने के बजाय सदैव की भांति चुप्पी सादे हुऐ हैं ।
वक्ताओं ने मेयर को याद दिलाया किदेहरादून में जो भी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में अब तक बाजार रेट से मुआवजा एवं पुर्नवास का प्रावधान अपनाया गया हाल ही में आढ़त बाजार शिफ्टिंग योजना में सभी प्रभावितों के लिऐ दुकान की जगह दुकान एवं मुआवजे का प्रावधान अपनाया गया जबकि गरीब बस्तियों में जानबूझकर इसमें देर की जा रही है जिससे बस्तीवासियों में अफरा तफरी का माहौल बना हुआ है ।वक्ताओं ने कहा एनजीटी सर्वे के नाम पर गरीबों के मकान चिन्हित कर उन्हें खाली करने के लिऐ कहा जा रहा जबकि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार सभी गरीब चाहे सरकार की दृष्टि में वैध हों या फिर अवैध जीवन जीने के अधिकार के तहत वे भी मुआवजे एवं पुर्नवास के हकदार है ंअब तक सभी परियोजनाओं में यह मापदण्ड अपनाये गये है।
वक्ताओं कहा है कि हाल में हुई कुछ घटनाओं से देहरादून की आम जनता के बीच में डर और आशंका का माहौल बना हुआ है जबकि 17 जनवरी 2025 को माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान सार्वजनिक बयान में कहा कि देहरादून में कोई भी मलिन बस्ती नहीं उजड़ेगी। लेकिन इस बयान के बाद सरकार का हर कदम इस नीति और आश्वासन के विरुद्ध में दिखाए दे रहे हैं। ज्ञापन के माध्यम से कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को मेयर के संज्ञान में लाया गया जिसमें उत्तराखंड के मुख्य सचिव द्वारा *देहरादून के रिस्पना-बिंदल एलिवेटेड रोड परियोजना* से प्रभावित लोगों के संदर्भ में कुछ प्रमुख घोषणाएँ/दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। हालाँकि, विशिष्ट घोषणाओं का विवरण परियोजना की प्रगति और स्थानीय प्रशासन के निर्णयों पर निर्भर करता है, फिर भी सामान्य तौर पर इस तरह की परियोजनाओं में प्रभावितों के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए जाते हैं:
-1. *पुनर्वास और मुआवजा*:
– भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 के तहत प्रभावित परिवारों को *न्यायसंगत मुआवजा* देने का वादा।
– पुनर्वास के लिए आवास या वैकल्पिक ज़मीन का प्रावधान। 2. *सार्वजनिक सुविधाओं का सुधार*:
– प्रभावित क्षेत्रों में पेयजल, बिजली, सड़क, और स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराने की योजना।
3. *पारदर्शिता और जनभागीदारी*:
– परियोजना की निगरानी के लिए एक *समिति* गठित करने की घोषणा, जिसमें प्रभावित नागरिकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
– /स्थानीय निकायों के साथ नियमित चर्चा करने का वचन।
4. *पर्यावरणीय प्रबंधन*:
– रिस्पना और बिंदाल नदी के जलमार्ग और जैव-विविधता को प्रभावित न होने देने के लिए विशेष उपाय।
5. *रोज़गार के अवसर*:
– प्रभावित परिवारों के युवाओं को परियोजना या अन्य सरकारी योजनाओं में रोज़गार प्राथमिकता देने का आश्वासन।
उदाहरण
– उत्तराखंड में पिछले वर्षों में चारधाम सड़क परियोजना और हाइड्रो प्रोजेक्ट्स के प्रभावितों को समान घोषणाएँ की गई थीं, जिनमें मुआवजा और पुनर्वास शामिल था।
यदि प्रशासनिक स्तर पर कोई प्रगति नहीं होती है, तो कानूनी सलाह लेकर न्यायिक प्रक्रिया शुरू करें।
(1)अक्टूबर 2024 में राज्य सरकार अध्यादेश द्वारा मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों की बेदखली पर तीन साल तक रोक लगा दिया था। लेकिन 16 दिसम्बर को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने इस कानून को किनारा करते हुए एक जन विरोधी, गैर संवैधानिक आदेश द्वारा रिस्पना नदी किनारे रह रहे दसियों हज़ारों परिवारों की बेदखली के लिए सरकार को कदम उठाने के लिए निर्देशित किया था। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार उच्चतम न्यायलय में अपील पेश की थी लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि राज्य सरकार अपने ही कानून को बचाने के लिए पहल करने के बजाय प्राधिकरण के आदेशों में एक तकनीकी कमी निकाल कर कुछ समय के लिए बेदखली को टालने का अनुरोध किया। जबकि सरकार के अध्यादेश के अनुसार 2027 तक बेदखली पर रोक होनी चाहिए थी, वर्त्तमान में आदेश पर सिर्फ तीन सप्ताह का रोक है, जो इस सप्ताह ख़त्म हो जायेगा।
(2)हाल ही में मुख्यमंत्री जी की अध्यक्षता में हुई बैठक में “एलिवेटेड रोड” के नाम पर प्रस्तावित परियोजना पर शीघ्रता से काम को शुरू करने के लिए निर्णय लिया गया है। महोदय, यह परियोजना पूरी तरह से बेज़रूरत और जन विरोधी है, और इससे शहर में पर्यावरण, मौसम और जनता की सुरक्षा पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।इससे पहले स्मार्ट सिटी एवं सौन्दर्यीकरण के नाम हजारों हजार पेड़ों की बलि चढ़ाकर पर्यावरण को भारी क्षति पहुंचाई गई ।एक तरफ चन्द बस्तियों को खतरा मानती रही है, दूसरी तरफ विशाल कंक्रीट कि कई किलोमीटर रोड़ इसके अतिरिक्त इस प्रस्तावित परियोजना को बनाने के लिए देहरादून की दर्जनों मज़दूर बस्तियों को उजाड़ना होगा, जबकि इनमें दसियों हज़ार परिवार रह रहे हैं। उनका पुनर्वास एवं हक़ों पर सरकार ने आज तक कोई भी नीति आज तक नहीं बनाई है, जो हमारे संविधान एवं उच्चतम न्यायलय के फैसलों के खिलाफ है।
– 2016 का अधिनियम के अनुसार राज्य में हर मलिन बस्ती का नियमितीकरण या पुनर्वास होना चाहिए। 2018 में जब अध्यादेश द्वारा बेदखली पर पहली बार रोक लगाया गया था, सरकार ने उस कानून के अंतर्गत ही लिख दी थी कि तीन साल के अंदर इस प्रक्रिया को पूरी की जाएगी। छह से ज्यादा साल बीत गए हैं और आज तक राज्य में एक भी परिवार का नियमितीकरण नहीं हुआ है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि अपने ही वादों के अनुसार मज़दूर बस्ती में रहने वाले हर परिवार को मालिकाना हक़ या घर दे, प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को रद्द करें और NGT के जन विरोधी आदेशों को रद्द कराने के लिए तुरंत क़ानूनी कदम उठा दे तथा प्रभावितों कै सन्दर्भ में बिना भेदभाव किये सर्वोच्च न्यायालय कै दिशानिर्देशों का पालन किया जाए ऐसी आपसे उम्मीद है lइस अवसर पर एक हस्ताक्षरित ज्ञापन मेयर निगम देहरादून को दिया गया जिसमें चन्द्रशेखर आजाद नगर कांवली के निवासियों को मालिकाना हक देने की मांग कि गई ।
प्रमुख लोगों अनन्त आकाश
संयोजक, बस्ती बचाओ आन्दोलन ,लेखराज
जिलामहामंत्री सीटू,राजेन्द्र शाह
चेतना आन्दोलन,मौहम्मद अल्ताफ मण्डल अध्यक्ष कांग्रेस
नुरैशा अंसारी जिलाध्यक्ष, जनवादी महिला समिति,संजय भारती,अदनान सिद्दकि ,प्रेंमा गढ़िया ,किरन यादव ,सोनू कुमार ,नरेन्द्र सिंह,तमरेज,बिन्दा मिश्रा,शबनम ,सालैहा,सुरेशी ,सरोज ,माला ,हसीन ,विप्लव अनन्त ,