देहरादून। राज्य सचिवालय पर विभिन्न मजदूर संगठनों , राजनैतिक एवं सामाजिक जिनमें सीटू ,सीपीएम,चेतना आन्दोलन ,एटक,सपा, ,सीपीआई,किसान सभा,महिला समिति ,भीम आर्मी ,महिला मंच, सर्वोदय मण्डल ,एस एफ आई ,उत्तराखण्ड आन्दोलनकारी ,बसपा ,बीजीवीएस से जुड़े सैकड़ो कार्यकर्ता शामिल थे । आन्दोलन को कांग्रेस ने अपना समर्थन दिया । इस विशाल प्रदर्शन के माध्यम से जनसंगठन एवं राजनैतिक दलों के वक्ताओं ने कहा सरकार ने वायदा किया था कि व पंचायत ,चाय बगानों तथा बस्तियों में बसी आबादी को मालिकाना हक देगी जिसके लिये सरकार ने बर्ष 2016 में जन आन्दोलन के बाद 2018 में बस्तियों की सुरक्षा के लिए कानून लाई जो कि अक्टूबर 2024 तक प्रभावी है,बावजूद अनेक बहाना बनाकर सरकार बस्तियों को उजाड़ने के लिए आमदा है।
वक्ताओं ने कहा है कि हाल में चूना भट्टा ,दीपनगर ,बारीघाट तथा काठबंगला इसका ज्वलंत उदाहरण हैं, जहाँ सैकड़ों गरीबों को बिना पुनर्वास एवं मुआवजा दिये बेघरबार किया गया जबकि अभियान में रिस्पना के इर्दगिर्द बड़े लोगों ,सरकारी कब्जों को छोड़ा गया । वक्ताओं ने कहा है कि सरकार की प्रस्तावित एलिवेटेड रोड़ जिसे रिस्पना तथा बिन्दाल से गुजरना है आने वाले दिनों में हजारों हजार परिवारों के बेघरबार होने का कारण बनेगी। इस योजना में पिछले 40 से पुरानी बसी आबादी को अतिक्रमणकारी कहा गया ,इसका सीधा मतलब है कि भाजपा सरकार सीधेतौर पर प्रभावितों के पुर्नवास एवं मुआवजा की जिम्मेदारी से बच रही है ।
वक्ताओं ने कहा है कि राज्य के प्रगतिशील वामपंथी राजनैतिक एवं सामाजिक संगठन पिछले लम्बे समय से इन तमाम मुद्दों पर आन्दोलित हैं तथा प्रभावितोंं से हजारों हजार हस्ताक्षर करवाकर आपको भेज चुके हैं,अभी भी हजारों हस्ताक्षर मौजूद हैं ।
प्रमुख मांगें :-
(1)सरकार सभी गैर क़ानूनी ध्वस्तीकरण अभियान पर तुरन्त रोक लगाये – कोई भी बेदखली की प्रक्रिया कानून के अनुसार हो ।
(2) तमाम गरीब व भूमिहीन लोगों की पुनर्वास की ब्यवस्था करने के बाद ही यदि आवश्यक हो तो सम्बन्धित स्थान से विस्थापित किया जाये। देश की आजादी के बाद हर देशवासी को, आवास ,शिक्षा व रोजगार पाने का हक है, और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम अपने दायित्वों का निर्वहन कर इसे पूरा करने का है।
(3)जिन परिवारों के घरों को बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तोड़े गए हैं, उनको मुआवज़ा उपलब्ध कराया जाये और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की जाये। काठबंगला में अभियान के दौरान मृतका सोनम गब्बर सिंह बस्ती रिस्पना कै परिजनों को समुचित मुआवजा दिया जाऐ -।
(4)हाल के बर्षो में ग्राम पंचायत स नगरनिगम में जुड़े लोंगों कै नोटिस निरस्त हों ।
(5) सरकार अपने वायदे के अनुरूप सभी बस्तियों कै मालिकाना हक कै लिऐ कानून बनाये ।
(6) एलिवेटेड रोड़ की आढ़ में गरीबों को उजाड़ने की साजिश बन्द करो ।इस योजना में पुर्नवास एवं मुआवजे का प्रावधान हो ।
(7) रेहड़ी , पटरी ,फैरी ,फुटपाथ व्यवसायियों का सभी प्रकार का उत्पीड़न रोको तथा वैन्डरजोन बनने तक इन्हें यथावत रोजगार करने दिया ।
(8)राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 13.05.2024 के आदेश (पैराग्राफ 20) के अनुसार नगर आयुक्त देहरादून ने प्राधिकरण के समक्ष बेदखली को कानून के अनुसार कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए लोगों को बेदखल किया जा रहा है। अनधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है। प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है।
(8) इस अभियान के दौरान कुछ लोग जो निश्चित रूप से 2016 से पहले रह रहे थे, उनकी सम्पतियों को भी नुक्सान पहुंचना ।सरकार सभी गैर क़ानूनी ध्वस्तीकरण अभियान पर तुरन्त रोक लगाये – कोई भी बेदखली की प्रक्रिया कानून के अनुसार हो ।
(2) तमाम गरीब व भूमिहीन लोगों की पुनर्वास की ब्यवस्था करने के बाद ही यदि आवश्यक हो तो सम्बन्धित स्थान से विस्थापित किया जाये। देश की आजादी के बाद हर देशवासी को, आवास ,शिक्षा व रोजगार पाने का हक है, और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम अपने दायित्वों का निर्वहन कर इसे पूरा करने का है।
(3)जिन परिवारों के घरों को बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तोड़े गए हैं, उनको मुआवज़ा उपलब्ध कराया जाये और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की जाये। काठबंगला में अभियान के दौरान मृतका सोनम गब्बर सिंह बस्ती रिस्पना कै परिजनों को समुचित मुआवजा दिया जाऐ -।
(4)हाल के बर्षो में ग्राम पंचायत स नगरनिगम में जुड़े लोंगों कै नोटिस निरस्त हों ।
(5) सरकार अपने वायदे के अनुरूप सभी बस्तियों कै मालिकाना हक कै लिऐ कानून बनाये ।
(6) एलिवेटेड रोड़ की आढ़ में गरीबों को उजाड़ने की साजिश बन्द करो ।इस योजना में पुर्नवास एवं मुआवजे का प्रावधान हो ।
(7) रेहड़ी , पटरी ,फैरी ,फुटपाथ व्यवसायियों का सभी प्रकार का उत्पीड़न रोको तथा वैन्डरजोन बनने तक इन्हें यथावत रोजगार करने दिया ।
(8)राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 13.05.2024 के आदेश (पैराग्राफ 20) के अनुसार नगर आयुक्त देहरादून ने प्राधिकरण के समक्ष बेदखली को कानून के अनुसार कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। लेकिन बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए लोगों को बेदखल किया जा रहा है। अनधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है। प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है।
(8) इस अभियान के दौरान कुछ लोग जो निश्चित रूप से 2016 से पहले रह रहे थे, उनकी सम्पतियों को भी नुक्सान पहुंचाना कानून कै खिलाफ है ।बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है, जो उत्तर प्रदेश पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनअथॉराइज़्ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम में अंकित है। लेकिन इस कानून को ताक पर रखा गया है।
(10) इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण का आदेश केवल मामले से सम्बन्धित पक्षकारों पर ही लागू होता है और ऐसे लोगों को मनमाने तरीके से उजाडा जा रहा है, जो इस मामले में पक्षकार नहीं हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का प्राधिकरण में कोई मौका ही नहीं दिया गया है।
(11) बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है। प्रभावित लोगों में से कई परिवार हैं जो अनुसूचित जाति के हैं और उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC / ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत भी अपराध है।
(12) हमारे संविधान के अनुसार आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है। उच्चतम न्यायलय के अनेक फैसलों में इस सिद्धांत को दोहराया गया है (Olga Tellis & Ors v. Bombay Municipal Cor-poration, 1986 AIR 180, 1985 SCR Supl. (2) 51 (1985) , Shantistar Builders v. Narayan Khimalal Totame, AIR 1990 SC 630 (1990) , इत्यादि)। इसलिए बिना पुनर्वास की व्यवस्था कर मज़दूर परिवारों को बेघर करना संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है।
(13) देहरादून की नदियों एवं नालियों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और अनेक अन्य निजी संस्थानों द्वारा और सरकारी विभागों द्वारा भी अतिक्रमण हुए हैं। हरित प्राधिकरण के आदेश में कोई ज़िक्र नहीं है कि कार्यवाही सिर्फ मज़दूर बस्तियों के खिलाफ करना है, लेकिन किसी भी अन्य अतिक्रमणकारी को नोटिस तक नहीं गया है। इसलिए यह अभियान न केवल गैर क़ानूनी है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है।
(14) गांधी पार्क कै निजीकरण कै फैसले को वापस लिया जाये ।
(15) चन्द्र शेखर आजाद नगर (भट्टा) भूमि का अवैध स्थानान्तरण रोका जाऐ तथा भूमि कब्जेदार कै नाम किया जाऐ ।
(16) उत्तराखण्ड आन्दोलनकारियों का चिन्हित किया जाये ।
(17) रेहड़ी पटरी फुटपाथ व्यवसायियों के लिऐ वैन्डरजोन घोषित किया जाये तथा पुलिस उत्पीड़न पर रोक लगाओ ।
(18) भवन एवं अन्य सनिर्माण श्रमिकों की योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं पर रोक लगाओ |
(19) आंगनबाड़ी ,भोजनमाताओं,आशाओं ,ई रिक्शा की समस्याओं का समाधान हो ।
ज्ञापन सचिवालय के समक्ष मुख्यमंत्री एवं मुख्यसचिव के नाम नगर मजिस्ट्रेट प्रत्युषसिंह को दिया ।
इस अवसर पर संचालन सीटू महामंत्री लेखराज ने किया कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दशोनी ,सीपीआई के समर भण्डारी ,सपा के राष्ट्रीय महासचिव एस एन सचान,सीपीएम नेता सुरेन्द्र सिंह सजवाण ,किसान सभा महामंत्री गंगा धर नौटियाल , चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल , महिला समिति की इंदु नौढियाल , रास्ट्रीय उत्तराखण्ड पार्टी के नवनीत गुसाई ,आंदोलनकारी परिषद के चिन्तन सकलानी , सर्वोदय मण्डल के हरबीर कुशवाहा ,भीम आर्मी के प्रदेश अध्यक्ष गौरव कुमार ,उपाध्यक्ष उमेंश कुमार, आजम खान, बसपा के दिग्विजय सिंह ,पूर्व जिलापंचायत अध्यक्ष शिवप्रसाद देवली ,कर्मचारी नेता एस एस नेगी ,बस्ती बचाओ आन्दोलन के संयोजक नरेंद्र सिंह ,सीपीएम जिला सचिव राजेन्द्र पुरोहित ,देहरादून सचिव अनन्त आकाश ,अध्यक्ष किशन गुनियाल ,माला गुरूंग, प्रेमा , किरन ,बिरजू, रघुवीर ,विनोद बडोनी , सुनीता पप्पू ,अशोक कुमार,संजय ,देवेन्द्र ,अनवर , भगवन्तं पयाल ,रामसिंह भण्डारी ,हरीश कुमार , नुरेशा अंसारी , शबनम ,सुरेशी नेगी ,जानकी भट्ट ,आंगनवाडी से सुनीता , लक्ष्मी पन्त रजनी गुलेरिया , इन्द्रैश नौटियाल ,शैलेन्द्र परमार ,एजाज ,सुधा देवली , गुरुप्रसाद , मामचंद ,शम्भु मंगाई , याकूब आली,अभिषेक भंडारी , पंकज कुमार , गगन गर्ग , समापन किसान सभा कै महामंत्री कमरूद्दीन ने की ।