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बस्तीवासियों के उत्पीड़न के खिलाफ, सभी प्रभावितों को सुनने तथा पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग को लेकर एमडीडीए पर प्रदर्शन

देहरादून। आज बस्तीवासियों के उत्पीड़न के खिलाफ ,साक्ष्य प्रस्तुत करने का मौका देने तथा प्रभावितों का पुनर्वास करने की मांग को लेकर ,विभिन्न राजनैतिक दलों ,सामाजिक संगठनों ने प्रभावितों के साथ मिलकर एमडीडीए मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन कर भाजपा सरकार की गरीब विरोधी नीतियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा वक्ताओं ने भाजपा की जनविरोधी नीतियों के परिणामस्वरूप आज आम जनता परेशान है तथा जगह जगह गरीब लोगों को भाजपा की नीतियों के कारण उजाड़ना पड़ रहा है । वक्ताओं ने कहा सरकार सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के जगह जगह अवहेलना कर रही है ,न्यायालय के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि किसी को हटाने से पहले कानूनी प्रक्रिया अपनाकर पहले प्रभावितों की पुनर्वास की व्यवस्था की जानी चाहिए प्रत्येक मामले में सरकार कानून एवं दिशानिर्देशों की अवहेलना कर रही है ।वक्ताओं ने चेतावनी दी गरीबों ‌का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं किया जायेगा

संगठनों ने निम्नलिखित बिंदुओं को उपाध्यक्ष एमडीडीए सामने रखी 

(1)राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के 13.05.2024 के आदेश (पैराग्राफ 20) के अनुसार नगर आयुक्त देहरादून ने प्राधिकरण के समक्ष बेदखली को कानून के अनुसार कराने के लिए प्रतिबद्धता जताई है।  लेकिन बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए लोगों को बेदखल किया जा रहा है।  अनधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है। प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है ।
(2)इस अभियान के दौरान कुछ लोग जो निश्चित रूप से 2016 से पहले रह रहे थे, उनकी सम्पतियों को भी नुक्सान पहुंचवाया गया है।
(3) बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है, जो उत्तर प्रदेश पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनअथॉराइज़्ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम में अंकित है।  लेकिन इस कानून को ताक पर रखा गया है।


(4) इसके अतिरिक्त, प्राधिकरण का आदेश केवल मामले से सम्बन्धित पक्षकारों पर ही लागू होता है और ऐसे लोगों को मनमाने तरीके से उजाडा जा रहा है,  जो इस मामले में  पक्षकार नहीं हैं और उन्हें अपना पक्ष रखने का प्राधिकरण में कोई मौका ही नहीं दिया गया है ।
(4) बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है।  प्रभावित लोगों में से कई परिवार हैं जो अनुसूचित जाति के हैं और उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC / ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत भी अपराध है। हमारे संविधान के अनुसार आश्रय का अधिकार मौलिक अधिकार है।  उच्चतम न्यायलय के अनेक फैसलों में इस सिद्धांत को दोहराया गया है (Olga Tellis & Ors v. Bombay Municipal Corporation, 1986 AIR 180, 1985 SCR Supl. (2) 51 (1985) , Shantistar Builders v. Narayan Khimalal Totame, AIR 1990 SC 630 (1990) , इत्यादि)।  इसलिए बिना पुनर्वास की व्यवस्था कर मज़दूर परिवारों को बेघर करना संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है।
-(5) महोदय, देहरादून की नदियों एवं नालियों में होटल, रिसोर्ट, रेस्टोरेंट और अनेक अन्य निजी संस्थानों द्वारा और सरकारी विभागों द्वारा भी  अतिक्रमण हुए हैं।  हरित प्राधिकरण के आदेश में कोई ज़िक्र नहीं है कि कार्यवाही सिर्फ मज़दूर बस्तियों के खिलाफ करना है, लेकिन किसी भी अन्य अतिक्रमणकारी को नोटिस तक नहीं गया है।  इसलिए  यह अभियान न केवल गैर क़ानूनी है बल्कि भेदभावपूर्ण भी है।
(6)इस गैर क़ानूनी ध्वस्तीकरण अभियान पर तुरंत रोक लगायी जाय।  – कोई भी बेदखली की प्रक्रिया कानून के अनुसार हो।- (7)-  तमाम गरीब व भूमिहीन लोगों की पुनर्वास की ब्यवस्था करने के बाद ही यदि आवश्यक हो तो सम्बन्धित स्थान से विस्थापित किया जाये। देश की आजादी  के बाद  हर देशवासी को, आवास ,शिक्षा व रोजगार पाने का हक है,  और जनता द्वारा चुनी हुई सरकार का काम अपने दायित्वों का निर्वहन कर इसे पूरा करने का है।


(8)जिन परिवारों के घरों को बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया अपनाते हुए तोड़े गए हैं, उनको मुआवज़ा उपलब्ध कराया जाये और ज़िम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही की जाये।
(9)- हाल के बर्षो में ग्राम पंचायत स नगरनिगम मे ं जुड़े क्षेत्र से जुड़े लोंगों कै नोटिस निरस्त हों ।
प्रभावित बस्तीवासियों कै लिऐ साक्ष्य प्रस्तुत करने कै लिऐ समय दिया जाऐ तथा प्रभावितों को समय दिया जाऐ तथा प्रत्येक प्रभावित को सुनवाई का प्रर्याप्त समय दिया जाऐ ।

प्रदर्शन कै दौरान उपाध्यक्ष  की अनुपस्थित में अधिशासी अभियंता सुनील कुमार ने प्रर्दशनकारियों के मध्य आकर ज्ञापन लिया जिसके साथ सैकड़ों प्रभावितों के साक्ष्य थे ।उन्होंने आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया ।

प्रर्दशनकारियों में चेतना आन्दोलन कै शंकर गोपाल ,Cpim कै राजेन्द्र पुरोहित ,अनन्त आकाश ,सीआईटीयू के लेखराज ,आयूपि कै नवनीत गुंसाई ,आन्दोलनकारि परिषद कै सुरेश कुमार ,एस एफ आई नितिन मलैठा ,हिमान्शु चौहान नै सभा को सम्बोधित किया ।

इस अवसर नरेंद्र कुमार ,राजेन्द्र शर्मा ,रामसिंह भण्डारी ,सुनीता ,रविंद्र नौडियाल ,हरिश कुमार ,गुरू प्रसाद,अर्जुन रावत ,विकास ,राजेन्द्र शाह ,रमन,शैलेन्द्र परमार ,अमित आदि सैकड़ों कि संख्या में प्रदर्शनकारि शामिल थे ।