उजाडे़ गये सभी बस्तीवासियों को मुआवजा एवं पुर्नवास हो
देहरादून। विभिन्न जनसंगठनों एवं राजनैतिक दलों ने बस्तियों को उजाड़ने की निन्दा की तथा उजड़े हुऐ बस्तीवासियों का पुर्नवास एवं मुआवजा की मांग की है ।जिलाधिकारी देहरादून के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को भेजे गये पत्र में एनजीटी की आढ़ में चलाये गये अतिक्रमण अभियान की कड़े शब्दों में निन्दा कर सरकार पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया है तथा कहा राज्य के बस्ती सुरक्षा कानून 018 का सरकार एवं उसके विभाग खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं तथा सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों की सरेआम अवहेलना हो रही जिसका खामियाजा गरीबों को भुगतना पड़ रहा है,यही नहीं कानून व्यवस्था की आढ़ में चल रहे सत्यापन की भी मार गरीबों पर पड़ रही है ,सरकार को तत्काल गरीबों का उत्पीड़न रोकते होगा तथा यह साबित करना होगा कानून सबके लिये बराबर है ।इस अवसर पर जिला सचिव राजेन्द्र पुरोहित ,देहरादून सचिव अनन्त आकाश ,सीटू महामंत्री लेखराज ,चेतना आन्दोलन के शंकर गोपाल ,आयूपी अध्यक्ष नवनीत गुंसाई ,बस्ती बचाओ आन्दोलन के नरेन्द्र सिंह ,एस एफ आई महामंत्री हिमान्शु चौहान ,भीम आर्मी के आजम खान आदि मौजूद थे ।
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्रीजी
उत्तराखण्ड सरकार
देहरादून ।
विषय: (1)ध्वस्तीकरण अभियान के जद में आये काठबंगला तरला नागल ,बारी घाट ,चुना भट्टा तथा दीपनगर आदि क्षेत्रों के पीड़ित बस्तीवासियों का पुनर्वास एवं मुआवजा देने के सन्दर्भ में
(2)आज के ध्वस्तीकरण अभियान में बिना नोटिस के कई मकानों/दुकानों को ध्वस्तीकरण के सन्दर्भ में ।
(3)पुलिस सत्यापन के नाम पर गरीबों को प्रताड़ित करने के सन्दर्भ में ।
द्वारा :- जिलाधिकारी महोदया देहरादून ।
मान्यवर,
राजधानी देहरादूनमें पिछले डेढ़ महीने से गरीबों को बेघर करने के खिलाफ चलाये अभियान के तहत राज्य के ट्रेड यूनियन, जन संगठन और विपक्षी दल लगातार आपके और आपकी सरकार के मंत्रियों के संज्ञान में कुछ गंभीर समस्याओं को लाने की कोशिश करते रहे हैं, किन्तु गैर क़ानूनी, अन्यायपूर्ण और जन विरोधी एनजीटी फैसले कि आढ़ में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों तथा आपकी सरकार के 2018 बस्ती सुरक्षा कानून का न केवल भारी उल्लंघन हो रहा है बल्कि NGT के फैसले को लागू केवल गरीब लोगों तक सीमित किया जा रहा है ,बड़े कब्जेदारों को छोडा़ जा रहा है ।आज काठबंगला क्षेत्र में उन मकानों तथा दुकानों को भी नहीं छोड़ा गया जिनका सत्यापन अभी बाकी है उन्हें भी तोडा़ गया है ।
मान्यवर ,ऐसे दर्जनों उदाहरण हैं जिनमें विधायकों ,मंत्रि एवं राजनेता तथा अफसर संलिप्त हैं किन्तु उनके खिलाफ किसी भी स्तर से कोई कार्यवाही नहीं होती है , इस प्रकार आपके मातहत लोगों की कार्यप्रणाली के प्रति जनता में भारी आक्रोश है ।गत सप्ताह रायपुर घटना के बाद पुलिस द्वारा कानून व्यवस्था के नाम पर जो सत्यापन किया जा रहा है ,वही गरीबो के उत्पीड़न का कारण बन रहा है ।
मान्यवर ,हम पुनः आपके संज्ञान निम्नलिखित बिन्दुओं रखना चाहते हैं :–
(1)अतिक्रमण अभियान या फिर एनजीटी के फैसले के तहत किसी भी बड़े बिल्डर, होटल या सरकारी विभाग पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। यह एनजीटी के आदेश की सरासर अवहेलना है ,इसी की आढ़ में केवल गरीब बस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है ।
(2) आपकी सरकार ने 2018 में कानून लाकर वायदा किया था कि 2021 तक सभी बस्तियों को मालिकाना हक मिलेगा । 2022 तक हर परिवार को पीएम मोदी का वायदा था कि घर मिलेगा,पुनः नवनिर्वाचित केन्द्र सरकार फिर से 3 करोड़ घर देने का ऐलान का असर हमारे राज्य में उल्टा है । इस स्थिति में मज़दूर वर्ग के परिवार कहाँ रहें ?
(3) कोर्ट में आपके अधिकारी निरन्तर घोर लापरवाही करते रहे हैं। 1 अप्रैल 024 को एक सुनवाई में हाज़िर तक नहीं हुए और फिर हरित प्राधिकरण से ऐसा आदेश आया जिसके बहाने लोगों को उजाड़ने की एकपक्षीय कार्यवाही की जा रही है ।
(4) बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है , लेकिन इस अभियान में कानून को ताक पर रखा गया है ,अनाधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से मानक तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है ? प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है। लोगों की और से दिए गए साक्ष्य को एकतरफा निरस्त कर ध्वस्तीकरण कर उन्हें प्रताड़ित एवं अपमानित कर बेघरबार किया जा रहा है। फिलहाल 2016 से पहले बसे लोग इस कार्यवाही कै शिकंजे में हैं जबकि 2018 में लाया गया आपका कानून सभी बस्तीवासियों को जो सुरक्षा देता है , उसे एक सिरे से खारिज किया जा रहा है ।
(5) बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है। प्रभावित लोगों में से कई परिवार हैं जो अनुसूचित जाति के हैं , उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC / ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत संज्ञेय अपराध है।
मान्यवर ,इन सारे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हम फिर से आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि सरकार अपने ही वादों के अनुसार इस अभियान पर रोक लगाकर कानून तुरन्त लाये कि किसी को बेघर नहीं किया जायेगा। बस्तियों का मालिकाना हक नियमितीकरण या पुनर्वास कै लिऐ युद्धस्तर पर कदम उठाना सरकार अपनी प्राथमिकता बनाये तथा पर्यावरण और उत्तराखण्ड की प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों पर शक्ति सै कार्यवाही की जाये औ रिस्पना ,विन्दाल एलिवेटेड रोड जैसे बेज़रूरत, जन विरोधी एवं पर्यावरण विरोधी परियोजनाओं पर तुरंत रोक लगायी जाये।
अन्त मेंं फुटपाथ लधु व्यवसायियों को आयेदिन पुलिसिया उत्पीड़न राजधानी देहरादून तथा राज्य प्रमुख महगरों तथा कस्बों दैख
निवेदक
अनन्त आकाश
सचिव ,सिपिआई एम
लेखराज
महामंत्री
सीआईटीयू
शंकर गोपाल
चेतना आन्दोलन
नरेन्द्र सिंह
बस्ती बचाओ आन्दोलन
नवनीत गुंसाई
कैद्रिय अध्यक्ष आयूपी
आजम खान
भीम आर्मी
हिमान्शु चौहान
महामंत्री ,एस एफ आई
जारीकर्ता
अनन्त आकाश
सचिव सिपिआई एम