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“केवल 33% लोगों के लिए सरकार!” अग्निमित्रा पॉल का ममता बनर्जी पर बड़ा हमला

अग्निमित्रा पॉल ने तृणमूल कांग्रेस पर एकतरफा नीतियों का लगाया आरोप

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल ने तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उनकी सरकार केवल राज्य की मुस्लिम आबादी को केंद्र में रखकर नीतियां बना रही है। पॉल ने कहा कि राज्य सरकार का रुख एकतरफा है और 33% मुस्लिम आबादी के हितों तक ही सीमित है, जबकि बहुसंख्यक समुदाय की उपेक्षा की जा रही है।

उन्होंने दावा किया कि वर्ष 2026 के विधानसभा चुनावों में भाजपा पश्चिम बंगाल में सत्ता हासिल करेगी। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता, तो राज्य को मुस्लिम मुख्यमंत्री मिल सकता है, और यह बात हिंदू समुदाय को गंभीरता से समझनी चाहिए।

राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल

अग्निमित्रा पॉल ने हाल ही में राज्य में हुई तीन बड़ी घटनाओं को लेकर ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मुर्शिदाबाद में हिंदू समुदाय पर हमले के बाद मुख्यमंत्री ने वहां जाने में महीनों का वक्त लिया, जबकि खिदिरपुर, जो अल्पसंख्यक बहुल इलाका है, वहां आग लगने के कुछ घंटों के भीतर ममता बनर्जी पहुंच गईं। इसी तरह बड़ा बाजार की घटना के बाद भी उनकी प्रतिक्रिया देर से आई।

तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप

पॉल ने ममता सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य की शासन व्यवस्था संतुलन खो रही है और राष्ट्रवादी विचारधारा वाले मुसलमानों को भी इस स्थिति पर विचार करना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसी राजनीति से राज्य का सामाजिक ताना-बाना कमजोर हो सकता है।

सीएम ममता का खिदिरपुर दौरा

इसी बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को खिदिरपुर के उस थोक बाजार का दौरा किया, जहां रविवार रात भीषण आग लगी थी। उन्होंने स्थिति की समीक्षा करते हुए प्रभावित दुकानदारों को राहत राशि देने और बाजार के पुनर्निर्माण के लिए कदम उठाने की घोषणा की। ममता ने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से बाजार को दोबारा बसाया जाएगा और फायर सेफ्टी की पुख्ता व्यवस्था की जाएगी।

विवादों में ममता सरकार की ओबीसी नीतियां

ममता बनर्जी पहले भी मुस्लिम समुदाय को दी गई सरकारी योजनाओं के चलते आलोचना का सामना कर चुकी हैं। ओबीसी प्रमाणपत्रों के वितरण पर कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ ममता ने मोर्चा खोल दिया था। इसके अलावा हजारों इमामों को आर्थिक सहायता और जमीन आवंटन जैसी घोषणाएं भी तुष्टिकरण के आरोपों को जन्म देती रही हैं।