बजट- मोदी सरकार जनता की मूलभूत और तत्कालिक जरूरतों के प्रति विश्वासघात
देहरादून। राज्य की तीन वामपंथी दलों ने सीपीआई, सीपीएम ,सीपीआई माले ने तय किया है कि वे मोदी सरकार के जनविरोधी बजट के खिलाफ राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम के तहत सप्ताह भर 14 से 20 फरवरी 2025 तक राज्य के विभिन्न जिलों में जनविरोधी बजट के खिलाफ अभियान चलायेंगे ,शुरुआत राजधानी देहरादून के दीनदयाल पार्क से विशाल धरने के रूप में की जायेगी । वामपंथी दल राज्य की भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा राज्य में अपनायी जा रही साम्प्रदायिक एवं कोरपोरटपरस्त जनविरोधी नीतियों को भी अभियान का हिस्सा बनायेगी इन नीतियों के चलते राज्य की प्राकृतिक संपदाओं पर बाहरी लोगों का दखल तेजी से बढ़ा है, वामपंथी दल डबल इन्जन सरकार द्वारा नियमित रोजगार में कटौती तथा सेना में अग्निबीर आदि अनेक नीजिकरण की नीतियों का विरोध करती आयी हैं, वामपंथी दल कोरपेरेट नीतियों के कारण,एलिवेटेड रोड़ व एनजीटी के माध्यम से राष्ट्रीय सेवक संघ द्वारा योजित गरीब बस्तियों को हटाने की साजिश के खिलाफ संघर्ष करती रही हैं, राज्य की स्वास्थ्य, शिक्षा,परिवहन आदि मुद्दों को बड़े ही सिद्दत के साथ उठाती रही है ।
वामपंथी दल हालिया स्थानीय निकाय चुनाव में सरकार द्वारा लाखों मतदाताओं को मतदाता सूची से हटाना तथा चुनावों में भारी हेराफेरी के भी मुद्दे को उठायेगी । राज्य की वामपंथी दलों ने मोदी सरकार के 2025-26 के केंद्रीय बजट को जनविरोधी करार दिया तथा राष्ट्रव्यापी आह्वान पर 14-20 फरवरी तक बजट के खिलाफ और वैकल्पिक प्रस्तावों के समर्थन में व्यापक अभियान चलायेगी ।
राज्य वाम दलों ने स्पष्ट किया है कि यह बजट जनता की मूलभूत आवश्यकताओं, रोजगार और सामाजिक कल्याण को पूरी तरह से नजरअंदाज करता है। सरकार की नीतियां अमीरों और बड़े कॉरपोरेट्स को अधिक लाभ पहुंचाने वाली हैं, जबकि आम जनता पर महंगाई, बेरोजगारी और घटती आय का बोझ बढ़ता जा रहा है।
वामपंथी दलों ने जनता की क्रय शक्ति बढ़ाने, व्यापक रोजगार सृजन और मजदूरी दर में लगातार हो रही गिरावट को रोकने की बजाय सरकार ने अमीरों को और अधिक छूट देने का काम किया है।
वामपंथी दलों ने कहा यदि सरकार बड़े कॉरपोरेट्स और अमीरों पर टैक्स बढ़ाकर सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश बढ़ाती, तो रोजगार और न्यूनतम मजदूरी की गारंटी संभव होती। लेकिन बजट इसके विपरीत दिशा में है। वामपंथी दलों ने कहा यह बजट निजी निवेश को बढ़ावा देने और सार्वजनिक क्षेत्र को कमजोर करने का एजेंडा आगे बढ़ाता है। पावर सेक्टर सहित अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निजीकरण को बढ़ावा देकर धन के केंद्रीकरण को तेज किया गया है।
वामपंथी दलों ने कहा बजट बेरोजगारी के गंभीर संकट की पूरी तरह अनदेखी की गई है। और यदि मुद्रास्फीति को ध्यान में रखा जाए तो फूड सब्सिडी, कृषि, कृषि आधारित उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण और शहरी विकास तथा सामाजिक कल्याण योजनाओं का बजट या तो स्थिर रखा गया या घटा दिया गया है। मनरेगा की राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई, जबकि ग्रामीण रोजगार 12 लाख तक की आय पर इन्कम टैक्स में छूट केवल उच्च मध्य वर्ग के एक छोटे हिस्से को फायदा पहुंचाएगी। कामकाजी वर्ग, जो महंगाई और जीएसटी जैसे अप्रत्यक्ष करों की मार झेल रहा है, को कोई राहत नहीं मिलने वाली है।
वाम दलों ने जनता के सामने रखा वैकल्पिक प्रस्ताव:-
वाम दलों ने इस जनविरोधी बजट को खारिज करते हुए निम्नलिखित वैकल्पिक प्रस्तावों को लागू करने की मांग की है, जिससे आर्थिक असमानता कम हो, रोजगार सृजन बढ़े और जनता को राहत मिले:
1. देश के लगभग 200 अरबपतियों पर 4% वेल्थ टैक्स लगाया जाए।
2. एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी हो, और एग्रीकल्चरल मार्केटिंग पर प्रस्तावित नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क को वापस लिया जाए।
3. बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई निवेश के प्रस्ताव को रद्द किया जाए।
4. मनरेगा के बजट में 50% की वृद्धि की जाए, शहरी रोजगार योजना लागू की जाए, और पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल हो।
5. स्वास्थ्य पर जीडीपी का 3% और शिक्षा पर 6% खर्च किया जाए।
6. जनवितरण प्रणाली (PDS) को मजबूत किया जाए ताकि गरीब और मध्यम वर्ग को सस्ती खाद्य सुरक्षा मिल सके।
7. SC-ST, महिला और बाल विकास योजनाओं के बजट में वृद्धि की जाए।
8. स्कीम वर्कर्स (आंगनबाड़ी, आशा, मिड-डे मील) के लिए केंद्र सरकार की मद में वृद्धि की जाए।
9. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्यों को उनका वैध हिस्सा समय पर मिले ताकि विकास परियोजनाओं में बाधा न आए।
वामपंथी दल सीपीआई,सीपीआईएम तथा सीपीआई (एमएल)राज्य कि जनता से अपील करती है कि वह जनविरोधी बजट कै खिलाफ इस अभियान का हिस्सा बनकर मोदी सरकार कै कॉरपोरेट बजट का विरोध करे ।
निवेदक
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) उत्तराखण्ड राज्य कौंसिल
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)उत्तराखण्ड राज्य कमेटी
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले)उत्तराखण्ड राज्य कमेटी