देहरादून । आज सयुक्त विपक्षी दलों ,जन एवं सामाजिक संगठनों ने रिस्पना बिन्दाल के इर्द गिर्द बड़ी – बड़ी बिल्डिंगों तथा सरकारी भवनों तथा विधानसभा भवनों की अनदेखी करते हुये ,गरीब बस्तीवासियों को ही अतिकक्रमणकारी मानते हुऐ पहले भी इनमें से सैकड़ों परिवारों को बेघरबार किया गया और इस चुनाव के बाद बेदखल करने की तैयारी चल रही है ,जिसका बिना देर किये ,व्यापक विरोध होना चाहिए ।
संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि रिस्पना ,बिन्दाल को अतिक्रमण मुक्त करने के लिऐ राष्ट्रीय हरित अधिकरण द्वारा 16 दिसंबर 024 को उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को उक्त सन्दर्भ में स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिये जिसके तहत मुख्य सचिव द्वारा 9 जनवरी 025 शहरी विकास सचिव ,जिलाधिकारी देहरादून ,उपाध्यक्ष एमडीडीए ,नगर आयुक्त नगरनिगम देहरादून को आवश्यक दिशा निर्देश दिये ,एनजीटी ने स्पष्ट किया कि सरकार का मलिनबस्तियों की सुरक्षा के सन्दर्भ में अध्यादेश 024 ,पर्यावरण संरक्षण एक्ट 1986 के कारण रिस्पना ,बिन्दाल किनारे बसी बस्तियों पर लागू नहीं होगा ।इसी क्रम में 13 फरवरी 025 को जिलाधिकारी ,उपाध्यक्ष एमडीडीए तथा नगर आयुक्त नगरनिगम देहरादून को व्यक्तिगत रूप से एनजीटी के समक्ष पेश होना है ।बावजूद वोट बोटरने की खातिर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री द्वारा रिस्पना बिन्दाल की बस्तियों को न हटाने का चुनावी आश्वासन दे रहे हैं ।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि होना यह चाहिए था सरकार को बिना देर किये एनजीटी के आदेश पर प्रभावित बस्तियों को बचाने के लिऐ अध्यादेश लाना चाहिए था जिससे बस्तियां सुरक्षित हो जाती ,पिछले लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद ही एनजीटी के आदेश रिस्पना के बस्तीवासियों को बेरहमी से उजाड़ा गया था ,जो आज भी दर दर भटक रहे हैं ,उस समय मुख्यमंत्री ,शहरी विकास मन्त्री,मन्त्री ,गणेश जोशी ,सभी भाजपा विधायकों ,पार्षदों तथा भाजपा नेताओं ने प्रभावितों से मिलने से मना कर दिया था ,आज वे ही वोट के खातिर इन्ही बस्तियों में आकर जनता को गुमराह कर रहे हैं ,उनके वोट हासिल करने के लिऐ सामदाम दण्ड भेद की नीतियां अपना रहे हैं ।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह भी तय है कि इन बस्तियों के बीच से धामी सरकार की 10 हजार करोड़ की एलिवेटेड रोड़ भी हजारों परिवारों को बेघरबार करेगी ,सरकार जनता को ज्यादा दिन तक गुमराह नहीं कर सकती ।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार यदि जन हितैशी है उसे प्रभावित बस्तियों के लोगों के हितों की रक्षा के लिऐ एनजीटी के आदेशों को रोकने के लिऐ अध्यादेश लाना चाहिए तथा एलिवेटेड रोड़ का फैसला वापस लेना चाहिए ।
आज विज्ञप्ति जारी करने वालों सीपीआईएम के सचिव अनन्त आकाश ,राष्ट्रीय उत्तराखण्ड पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष नवनीत गुंसाई ,उत्तराखण्ड क्रान्तिदल के महानगर अध्यक्ष बिजेंद्र रावत,आजाद समाज पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष उमेंशकुमार ,भीम आर्मी के कपिल कुमार ,आजम खान ,उत्तराखण्ड संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष सुरेशकुमार , ,जनवादी महिला समिति की जिलाध्यक्ष नुरैशा अंसारी,बार कौंसिल उत्तराखण्ड के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट रजिया बेग, सदस्य एडवोकेट रंजन सोलंकी ,एआईएलयू के महामंत्री एडवोकेट शम्भू प्रसद ममगाई, एस एफ आई प्रदेश अध्यक्ष नितिन मलेठा ,अम्बेडकर युवक संघ के अध्यक्ष बंटी कुमार सूर्यवंशी ,सीटू के जिलामहामन्त्री एवं डीएवी महाविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लेखराज आदि शामिल हैं ।