देहरादून। दून विश्वविद्यालय में मानवविज्ञान विभाग द्वारा परम्परागत ज्ञान, आधुनिक विज्ञान एवं सतत विकास विषय पर आनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में जी. एस. रौतेला प्रसिद्ध भौतिकीविद, भारतीय राष्ट्रीय संग्रहालय परिषद के महानिदेशक एवम भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक एवं वर्तमान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी सलाहकार, उत्तराखंड सरकार नें आधुनिक विज्ञान और परम्परागत ज्ञान को एक साथ मिलकर मानव जाति के सतत विकास के लिए काम करना समय की जरूरत बताया अन्यथा प्राकृतिक संसाधनों की कमी से समाज में असमानता पैदा होगी जो आगे चलकर अनेक समस्याओं को जन्म दे सकती हैं।
उन्होंन आदिवासी समाज के लोगों और अंदमान द्वीप की जनजातियों का 2004 की सुनामी जैसी आपदा में भी उनके किसी भी सदस्य का नुकसान न होना उनके प्रकृति के साथ मानवीय सामंजस्य का अनूठा उदाहरण बताया। आयुर्वेद से लेकर सुश्रुत संहिता में पुरातन समय के लोगो द्वारा प्रकृति प्रदत उपायों को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में सम्मिलित किए जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता दून विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद मंमगाई डीन सोसल सांइस ने किया उन्होंन रौतेला द्वारा दिए गए प्रस्तुति की प्रसंसा की कहा कि उन्होंन इस कार्यक्रम से बहुत कुछ नया सीखा। इस कार्यक्रम का संचालन मानवविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर मानवेंन्द्र सिंह बर्त्वाल ने किया और धन्यवाद ज्ञापन विभाग की डाक्टर सौम्यता पांडे ने किया। कार्यक्रम में 140 लोगों ने अपना नामांकन करवाया था जिनमें से कम से कम 50 से 70 लोगों की समय-समय पर उपस्थित दर्ज की गई।