नंदासैण। चण्डी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र गोपेश्वर तथा चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोली ग्राम स्वराज्य मण्डल के तत्वाधान में जंगलो को आग से बचाने के लिए गाँवों में व्यापक स्तर पर जन जागरूकता और अध्य्यन यात्रा मंगलवार को नंदासैंण से शुरू हो गई है। यात्रा के पहले दिन नंदासैण, बडेथ, डोबरा, दरमोली, विजयसैण, और नगली गाँव में आयोजित गोष्ठीयों में क्षेत्र के ग्रामीणों ने खुलकर वन प्रबंधन और वनाग्नि के विषय पर अपनी बात रखी।
नंदासैण में आयोजित गोष्ठी में किरसाल गाँव के समाज सेवी पूर्व सैनिक वीरेंद्र चौधरी ने कहा की उनकी बन-पंचायत इस क्षेत्र की सबसे बड़ी बन-पंचायत है जो दो बीटें में लगभग 47वर्ग किमी के दायरे में फैली हुई है, इतने बड़े क्षेत्र की निगरानी करना वर्तमान में ग्रामीणों द्वारा संभव नही है इस संदर्भ में उनके द्वारा कई बार वन विभाग से वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चौकीदारों की मांग भी की गई पर विभाग द्वारा इस पर अभी तक कोई भी संज्ञान नही लिया गया है।
गोष्ठी में ऐरोली के सरपंच सुरेंद्र सिंह तथा माले के सरपंच रूपचंद्र ने बताया की वन सरपंच का चुनाव तो हो गया है पर अभी तक उनकी गाँवों में वन पंचायतों का विधिवत गठन ही नही हो पाया है, ऐसी स्थिति में वनों की सुरक्षा कैसे हो पायेगी। नागली के वन सरपंच धीरेंद्र सिंह ने कहा कि वन सरपंच धरातल पर वनों के रख-रखाव और प्रबंधन की मुख्य कढी है पर प्रशासन द्वारा उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है जबकि वन सरपंच अपने दैनिक कार्यों को छोड़कर बिना किसी मानदेय के कई हेक्टेयर तक फैले जंगलों की सुरक्षा करते हैं।इस कारण उनके रोजगार और खेती के साथ ही आजीविका पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। कांसवा के प्रधान भूपेंद्र सिंह कुँवर ने कहा कि वन विभाग को समय-समय पर इस प्रकार की गोष्ठियां आयोजित करनी चाहिए जिससे विभाग और उनके बीच संवाद बना रहे पर विभाग द्वारा वनाग्नि की बैठकें यदा कदा ही खानापूर्ति के तौर पर की जाती हैं ।
इससे पूर्व अध्यन यात्रा के शुभारंभ के अवसर पर चण्डी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने उत्तराखंड में प्रतिवर्ष वनाग्नि की घटनाओं में हो रही वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि, हमारी इस अध्य्यन यात्रा का मुख्य उद्देश्य ,वनाग्नि की दृष्टि से अति संवेदनशील क्षेत्रों में पद यात्रा के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ ही उनसे प्रत्यक्ष संवाद कर उन्हें वनाग्नि के दुष्प्रभावो॑ से अवगत कराना है। उन्होंने कहा कि इस दौरान यात्रा दल द्वारा ग्रामीणों से चर्चा- परिचर्चा कर यह जानना भी है कि ,वे वनाग्नि के लिए प्राकृतिक और मानव जनित कारकों में से किस कारक को प्रमुख रूप से उत्तरदाई मानते हैं तथा उनके अनुसार स्थानीय स्तर पर इनके निराकरण के क्या उपाय हो सकते हैं और ग्राम स्तर पर बने वनाग्नि रोधी संगठनों की धरातलीय स्थिति को जानने के साथ ही निष्क्रिय पड़े संगठनों को सक्रिय करना है।
गोष्ठी में समाज सेवी अशोक चौधरी ने ग्रामीणों से जंगलों को आग से बचाये रखने की अपील करते हुए कहा कि, यदि जंगल ही नहीं रहेंगे तो मानव जाति के अस्तित्व पर ही संकट आ जायेगा। अध्य्यन यात्रा के पहले दिन आयोजित गोष्ठियों में यात्रा दल द्वारा ग्रामीणों को जंगलो को आग से बचाने की शपथ भी दिलाई गई।
इस दौरान क्षेत्र के विभिन्न गाँवों में आयोजित जन-जागरण एवं अध्य्यन यात्रा में चं. प्र.भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के संमन्वयक विनय सेमवाल , मंगला कोठियाल ,बचन सिंह रावत, महेंद्र सिंह रावत,ग्राम प्रधान किरसाल बीना देवी,समाज सेवी भूपेंद्र सिंह,दिनेश लाल,द्वारिका प्रसाद,राजेंद्र सिंह,वन कर्मी रमेश चंद्र,सुमन देवी,रेखा देवी,गुड्डी बेगम,वीरेंद्र प्रभु,प्रधान कांसुवा भूपेंद्र सिंह कुँवर,समाज सेवी कमल कोहली,वीरेंद्र कोहली,प्रेम सिंह रौतेला आदि भी शामिल थे।