-पुरोला को लेकर सांप्रदायिक घृणा और उन्माद पर घटनाओं की तीव्र भर्त्सना
-समृद्ध- संपन्न उत्तराखंड हमारा मकसद होना चाहिए,धार्मिक उन्माद और घृणा से पस्त और पतित राज्य नही
देहरादून: तीन वामपंथी पार्टियां- भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) ने उत्तराखंड में पुरोला और अन्य जगहों पर सचेत तरीके से सांप्रदायिक घृणा और उन्माद की घटनाओं की तीव्र भर्त्सना की हैI उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर इस उन्माद को हवा देने का भी आरोप लगाया हैI
वामपंथी पार्टियों ने आरोप लगाते हुए कहा यह अफसोसजनक है कि सांप्रदायिक उन्माद पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने के बजाय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उन्माद को हवा देने में लगे हुए हैंI
लैंड जेहाद और लव जेहाद जैसी असंवैधानिक शब्दावली का निरंतर प्रयोग करके मुख्यमंत्री ने स्वयं सांप्रदायिक उन्माद के प्रचारक की भूमिका ग्रहण कर ली है. पुरोला में सांप्रदायिक तनाव के दौरान वे दो मौकों पर उत्तरकाशी जिले में थे. लेकिन वहाँ रहने के दौरान एक भी बार उन्होंने न तो शांति की अपील की और न ही कानून हाथ में लेने वालों की खिलाफ कार्यवाही की बात कहीI
04 फरवरी 2020 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी.किशन रेड्डी ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया कि लव जेहाद कानूनी रूप से परिभाषित नहीं हैI केंद्रीय एजेंसियों ने लव जेहाद का कोई मामला रिपोर्ट नहीं किया हैI
देश में 2011 से कोई जनगणना नहीं हुई है तो मुख्यमंत्री के पास कौन सा आंकड़ा है, जिसके आधार पर वे डेमोग्राफी में बदलाव जैसी असंवैधानिक शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं ?
लैंड जेहाद जैसी शब्दावली भी असंवैधानिक और गैर कानूनी है. यह उस सरकार का मुखिया प्रयोग कर रहा है जिन्होंने स्वयं प्रदेश में ज़मीनों की असीमित बिक्री का कानून बनायाI
बहुसंख्यक हिंदुओं में अल्पसंख्यकों के प्रति डर और घृणा का भाव भरा जा रहा है. इसके पीछे असल मकसद धुर्वीकरण करके वोटों की फसल बटोरना है.
अल्पसंख्यकों को जिस तरह घर-दुकान खाली करने के लिए आर एस एस समर्थित सांप्रदायिक समूहों द्वारा धमकाया जा रहा है. वह पूरी तरह गैर कानूनी कार्यवाही है, ऐसे समूहों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाय ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है, जैसे कि उन्हें प्रशासनिक संरक्षण हासिल होI
किसी भी तरह के अपराध की रोकथाम और अंकुश लगाने की कार्यवाही कानूनी तरीके से होनी चाहिएI किसी भी स्वयंभू धार्मिक संगठन या व्यक्ति को उसकी आड़ में कानून और संविधान से खिलवाड़ की अनुमति कतई नहीं मिलनी चाहिएI
उच्चतम न्यायालय के आदेशों के बावजूद उत्तराखंड में पुलिस द्वारा नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जा रही हैI राज्य की पुलिस और पुलिस प्रमुख को बताना चाहिए कि उसकी क्या मजबूरी है, जो उसे उच्चतम न्यायालय की अवमानना करने के लिए विवश कर रही हैI
हम राज्य के तमाम नागरिकों से अपील करना चाहते हैं कि वे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के इस जेल में न फंसे. इस जाल मे लोगों को फांसने वाले तो इससे लाभ हासिल करेंगे पर आम जन के हिस्से इस से बर्बादी ही आएगी. उत्तराखंड में नौकरियों की लूट, जल-जंगल-जमीन की लूट, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली, पलायन, जंगली जानवरों का आतंक, पर्वतीय कृषि की तबाही जैसे तमाम सवाल हैं, जो उत्तराखंड की व्यापक जनता के सवाल हैं, जिनके लिए मिल कर संघर्ष करने की आवश्यकता है. इन सवालों का हल करने में नाकाम सत्ता ही लोगों को धर्म के नाम पर बांट कर, इन सवालों पर अपनी असफलता से बच निकलना चाहती है.
प्रदर्शन को समर्थन देने वालों में जगदीश कुलियालराज्य सचिव. भाकपा, राजेंद्र नेगी राज्य सचिव. माकपा, इन्द्रेश मैखुरी राज्य सचिव. भाकपा (माले), समर भंडारी राष्ट्रीय परिषद सदस्य. भाकपा, अशोक शर्मा राज्य कार्यकारिणी सदस्य. भाकपा, रविंद्र जग्गी राज्य सहायक सचिव. भाकपा, शिव प्रसाद देवली राज्य कमेटी सदस्य. माकपा, इंदु नौडियाल राज्य कमेटी सदस्य. माकपा, राजेंद्र पुरोहित राज्य कमेटी सदस्य. माकपा, अनंत आकाश राज्य कमेटी सदस्य माकपा, कैलाश पांडेय केंद्रीय कमेटी सदस्य .भाकपा (माले), के के बोराराज्य कमेटी सदस्य. भाकपा (माले) शामिल हैंI