एसईजेड से खेती योग्य जमीन पर संकट, कृषि और उससे जुड़े हुए क्षेत्रों का कुल बजट पिछले साल के 4.26% से घटाकर इस वर्ष 3.84% कर दिया गया है: धमेंद्र मलिक
देहरादून: भारतीय किसान यूनियन ने बजट 2022 को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा हैI भाकियू ने इस बजट को किसानों से बदले की भावना से किया गया कार्य बतायाI यूनियन के बड़े नेता राकेश टिकैत ने बजट कोन कृषि व किसानों के बजाय कॉरपोरेट मित्रों के लिए लाभकारी करार दिया हैI
भाकियू ने एक प्रेस विज्ञप्ति जरी कर कहा है कि वित्त मंत्री के भाषण से स्पष्ट है कि यह बजट खेती के लिए नकारात्मक है। खेती में वित्तीय आबंटन को कम किया गया है। पिछले साल के मुकाबले कुल बजट का कृषि के आबंटन भी कम कर दिया गया है। किसानों की आय दोगुनी करने ,किसान सम्मान निधि के आबंटन में वृद्धि न करना,फसल बीमा योजना के लिए आबंटन कम करना, फसलों की खरीद हेतु प्रधानमंत्री आशा स्कीम में आबंटन घटाना, पराली न जलाने हेतु आबंटन को खत्म करना,एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड को कम करना, खेती में प्रयोग होने वाली वस्तुओं जैसे बीज,कीटनाशक, खरपतवार नाशी,ट्रैकटर सहित कृषि यंत्रों,पशुओं व पोल्ट्री फीड आदि में जीएसटी की दरों में राहत न देने आदि से स्पष्ट है कि कृषि की बजट में इतनी उपेक्षा आजाद भारत के इतिहास में कभी नही हुई है। किसानों के लिए बजट रूटीन प्रकिया का हिस्सा है। इससे किसानों का कल्याण संभव नही है। इस बजट से यह भी स्पष्ट है कि सरकार किसानों से बदले की भावना से कार्य कर रही है।
तिलहन के उत्पादन को आप इसलिए बढ़ाना चाहते है कि ताड की खेती आप कॉरपोरेट को सौंपना चाहते है ।यह खेती भूमिगत जल व पर्यायवर्णीय दृष्टि से उचित नही है। बजट में केवल अमृत महोत्सव, गतिशक्ति, ई विधा जैसे शव्दों का मायाजाल है। कृषि में पूंजी निवेश के माहौल के लिए कोई योजना नही है। किसान सरकार की किसान विरोधी सोच का विरोध करते हुए देश की वित्त मंत्री महोदया को बजट के लिए 000 नंबर देता है
जो भी कृषि का आवंटन है उसका बड़ा हिस्सा तनख्वाह, किसान सम्मान निधि व ब्याज की सब्सिडी पर खर्च होगा। इसमे नया कुछ भी नही है बल्कि जो मिल रहा था उसे भी कम कर दिया गया है