पिछले साल भी टली गई थी यात्रा
नैनीताल: हर साल कैलाश मानसरोवर यात्रा 12 जून से शुरू होती थी। पिछले साल कोरोना के कारण यात्रा नहीं हो सकी थी। इस बार भी इस यात्रा पर असमंजस है। हर साल दिल्ली से 12 जून को शुरू होने वाली इस यात्रा में 15 जून को यात्रियों का पहला दल दिल्ली से यात्रा के पहले पड़ाव में उत्तराखंड के काठगोदाम पहुंचा था। काठगोदाम पहुंचने के बाद इन यात्रियों का कुमाऊंनी रीति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार स्वागत किया जाता था।
अगले दिन यात्रा अपने अगले पड़ाव अल्मोड़ा के लिए रवाना होती थी। अल्मोड़ा से पिथौरागढ़, धारचूला, नजंग, बूंदी, कालापानी, गूंजी, लिपुलेख समेत विभिन्न पड़ावों को पूरा करते हुए पैदल यात्रा मार्ग से चाइना में प्रवेश कर जाती थी। कैलाश मानसरोवर की यात्रा में करीब 18 दिन लगते थे। हर दल में करीब 60 भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए जाते थे। लेकिन इस बार भी कोरोना संक्रमण के चलते इस यात्रा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम अशोक कुमार जोशी बताते हैं कि यात्रा को लेकर हर साल करीब 2000 के आसपास यात्री अपना पंजीकरण कराते थे। करीब 1080 यात्रियों का चयन मेडिकल परीक्षण के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए किया जाता था। इससे कुमाऊं मंडल विकास निगम को 56 लाख से अधिक की आमदनी होती थी। अगर इस बार भी कैलाश मानसरोवर यात्रा नहीं होगी तो कुमाऊं मंडल विकास निगम को लाखों के राजस्व घाटा उठाना पड़ेगा।
वहीं कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम का कहना है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय, आईटीबीपी, उत्तराखंड सरकार सहित कुमाऊं मंडल विकास निगम और तमाम विभागीय अधिकारियों की बैठक होती थी।
लेकिन अब तक इस बैठक का भी आयोजन नहीं किया गया है। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार भी कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित नहीं होगी।
आपको बता दें कि 1980 से लगातार कुमाऊं मंडल विकास निगम के द्वारा कैलाश मानसरोवर यात्रा को आयोजित कराया जाता है। इस बार भी कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा यात्रा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं।