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एलिवेटेड रोड़ के विरोध में जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन 

बस्तियों को बचाने एवं मालिकाना हक के सवाल पर 

फुटपाथ व्यवसायियों के उत्पीड़न के सवाल पर 

27 जून 2024 को राज्य सचिवालय पर प्रदर्शन

देहरादून। आज विभिन्न जनसंगठनों तथा राजनैतिक संगठनों के प्रतिनिधियों जिला मुख्यालय पहुंचकर जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमन्त्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया ।ज्ञापन उपजिलाधिकारी मुख्यालय शालिनी नेगी ने लिया तथा आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन दिया ।इस अवसर पर सीपीएम सचिव अनन्त आकाश ,सीआईटीयू महामंत्री लेखराज ,आयूपी अध्यक्ष नवनीत गुंसाई ,बस्ती बचाओ अभियान के नरेन्द्र सिंह ,राजेन्द्र शर्मा ,भीम आर्मी के आजम खान ,नेताजी संघर्ष समिति के प्रभात डण्डरियाल ,चेतना आन्दोलन के बडोनी ,रधुबीरसिंह ,डिम्पल ,रेणु ,ममता ,जतिनी ,सुनैना ,मनीषा ,मंजू ,रीना ,पिंकी ,प्रेंमफूल ,संगीता, सोनी ,विनोद,हरिओम ,सोनू के अलावा सपा ,महिला समिति ,एस एफआई उपस्थित आदि बड़ी संख्या में प्रभावित उपस्थित थे ।

इस अवसर पर गरीब बस्तियों को न उखाड़ने ,बस्तियों क नियमतीकरण करने ,फुटपाथ व्यवसायियों का उत्पीड़न रोकने तथा वैन्डरजोन घोषित करने तथा बस्तियों के लिऐ जारी नोटिस निरस्त करने की मांग की गई ।

ज्ञापन निम्नलिखित है ।
सेवा में,

माननीय मुख्यमंत्रीजी
उत्तराखण्ड सरकार
देहरादून ।
विषय: मज़दूर बस्तियों के लोगों को बेघर करने के विरोध में ज्ञापन प्रेषण ।
द्वारा :- जिलाधिकारी महोदया देहरादून ।
मान्यवर,

राजधानी देहरादूनमें पिछले डेढ़ महीने से गरीबों को बेघर करने के खिलाफ चलाये अभियान के तहत राज्य के ट्रेड यूनियन, जन संगठन और विपक्षी दल लगातार आपके और आपकी सरकार के मंत्रियों के संज्ञान में कुछ गंभीर समस्याओं को लाने की कोशिश करते रहे हैं, लेकिन समाचार पत्रों के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि में सोमवार से MDDA 240 से ज्यादा परिवारों को बेघर करने का अभियान शुरू करने वाला है,  जो कि गैर क़ानूनी, अन्यायपूर्ण और जन विरोधी है तथा सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के विपरीत है ।

मान्यवर ,हम पुनः आपके संज्ञान निम्नलिखित बिन्दुओं रखना चाहते हैं :–
(1)अतिक्रमण अभियान या फिर एनजीटी के फैसले के तहत किसी भी बड़े बिल्डर, होटल या सरकारी विभाग पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।  यह एनजीटी के आदेश की सरासर अवहेलना है ,इसी की आढ़ में केवल गरीब बस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है ।
(2) आपकी सरकार ने 2018 में कानून लाकर वायदा किया था कि 2021 तक सभी बस्तियों को मालिकाना हक मिलेगा । 2022 तक हर परिवार को पीएम मोदी का वायदा था कि घर मिलेगा,पुनः नवनिर्वाचित केन्द्र सरकार फिर से 3 करोड़ घर देने का ऐलान का असर हमारे राज्य में उल्टा है । इस स्थिति में मज़दूर वर्ग के परिवार कहाँ रहें ?

(3) कोर्ट में आपके अधिकारी निरन्तर घोर लापरवाही करते रहे हैं। 1 अप्रैल 024 को एक सुनवाई में हाज़िर तक नहीं हुए और फिर हरित प्राधिकरण से ऐसा आदेश आया जिसके बहाने लोगों को उजाड़ने की एकपक्षीय कार्यवाही की जा रही है ।
(4) बेदखली के लिए क़ानूनी प्रक्रिया है , लेकिन इस अभियान में कानून को ताक पर रखा गया है ,अनाधिकृत अधिकारी मनमानी तरीकों से मानक तय कर रहे हैं कि किसको बेदखल करना है ? प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है और व्यक्तिगत सुनवाई और अपील करने का कोई मौका नहीं दिया जा रहा है। लोगों की और से दिए गए साक्ष्य को एकतरफा निरस्त कर ध्वस्तीकरण कर उन्हें प्रताड़ित एवं अपमानित कर बेघरबार किया जा रहा है। फिलहाल 2016 से पहले बसे लोग इस कार्यवाही कै शिकंजे में हैं जबकि 2018 में लाया गया आपका कानून सभी बस्तीवासियों को जो सुरक्षा देता है , उसे एक सिरे से खारिज किया जा रहा है ।
(5) बिना क़ानूनी प्रक्रिया को अपनाये किसी की सम्पति को नुक़सान पहुँचाना क़ानूनी अपराध है।  प्रभावित लोगों में से कई परिवार हैं जो अनुसूचित जाति के हैं , उनको गैर क़ानूनी तरीकों से बेदखल करना SC / ST (Prevention of Atrocities) Act के अंतर्गत संज्ञेय अपराध है।
मान्यवर ,इन सारे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हम फिर से आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि सरकार अपने ही वादों के अनुसार इस अभियान पर रोक लगाकर कानून तुरन्त लाये कि  किसी को बेघर नहीं किया जायेगा। बस्तियों का मालिकाना हक नियमितीकरण या पुनर्वास कै लिऐ युद्धस्तर पर कदम उठाना सरकार अपनी प्राथमिकता बनाये तथा पर्यावरण और उत्तराखण्ड की प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों पर शक्ति सै कार्यवाही की जाये औ रिस्पना ,विन्दाल एलिवेटेड रोड जैसे बेज़रूरत, जन विरोधी एवं पर्यावरण विरोधी परियोजनाओं पर तुरंत रोक लगायी जाये।